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भृगु संहिता से सम्भव है सटीक भविष्यवाणी

ज्योतिष क्षेत्र के पावन ग्रथ भृगु संहिता की रचना महर्षि भृगु ने की थी, जो परमपिता ब्रह्मा जी के पुत्र थे। एक बार की बात है कि पृथ्वी पर चर्चा हुई कि त्रिवेदों में सबसे श्रेष्ठ कौन है? इनकी परखने का बीड़ा ब्रह्मा जी के पुत्र महर्षि भृगु को दिया गयाा। महर्षि भृगु ब्रह्मा जी के पास गए तो उन्हें प्रणाम न करने से वे कु्रद्ध हो गए, भगवान शंकर के पास गए तो वे भी अमर्यादित शब्दों के प्रयोग से क्रुद्ध हो गए, लेकिन माता पार्वती ने उन्हें क्षमा करने का अनुरोध किया तो भगवान शंकर ने उन्हें क्षमा कर दिया। इसके बाद महर्षि भृगु वैकुंठ लोक पहुंचे, जहां भगवान विष्णु शेषशय्या पर विश्राम कर रहे थे, महर्षि भृगु वहां पहुंचे तो उन्होंने भगवान पर लात से प्रहार किया। इस पर भगवान विष्णु उठ गए और महर्षि से बोले- महर्षि आपके पैरों में चोट नहीं लगी है।

इस प्रकार महर्षि भृगु ने त्रिवेदों की श्रेष्ठता नियत की लेकिन इस घटनाक्रम से माता महालक्ष्मी आहत और कुपित हुईं। उन्होंने महर्षि भृगु को श्राप दिया कि जिस ज्ञान के बल पर तुममे इतना अभिमान आया है, वह ज्ञान की रचना भृगु संहिता मिथ्या हो जाएगी। इस पर महर्षि भृगु ने माता महालक्ष्मी व भगवान विष्णु से क्षमा याचना की और बारंबार क्षमा मांगी तो माता ने उन्हें कहा कि तुम्हारे इस ज्ञान के आधार पर मनुष्य के भविष्य का सटीक आंकलन वही कर पाएगा, जो इसका यानी भृगु संहिता का पूर्ण ज्ञाता होगा। भृगु संहिता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ज्योतिष संबंधी विभिन्न पहलू मौजूद है, जो कि ज्योतिष शास्त्र को वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करते है।

इस संहिता में कुंडली के लग्न के अनुसार बताया गया है। भृगु संहिता के आधार पर यह भी बताया जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा? इतना ही नहीं, संहिता का सही जानकार किसी भी व्यक्ति को उसके पूर्व जन्म से अवगत करा सकता है। भृगु संहिता को ज्योतिष के क्षेत्र में जो स्थान प्राप्त है, वह अतुलनीय है। इस ग्रंथ की महिमा को जानने व मानने वाले सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में है। माना जाता है कि भृगु संहिता के अधार पर सटीक भविष्यवाणी सम्भव है, जो अक्षरत: सटीक उतरती है।

समृद्धशाली है सनातन धर्म- संस्कृति

सनातन धर्म में अनगिनत दुर्लभ शास्त्र ऐसे है, जो कि धर्म-संस्कृति को समृद्ध व गौरवशाली बनाते हैं। इनमें भृगु संहिता, रावण संहिता, कौटिल्य अर्थशास्त्र सरीखे ग्रन्थ सनानत संस्कृति की गौरवशाली गाथा को प्रकट करते हैं। यह हमारी गौरवशाली संस्कृति और अतीत के परिचायक हैं।

-भृगु नागर

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