भगवान श्री राम कण-कण में व्याप्त हैं। वह अविनाशी है। अनंत हैं। उनकी माया भी अनंत ही है। ऐसे श्री राम को सृष्टि के कण-कण में व्याप्त जानना चाहिए। ऐसी भक्ति को प्राप्त करने का एक मंत्र हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसे सिद्ध करने से मनुष्य को श्री राम की भक्ति की अमूल्य निधि प्राप्त होती है। पूर्ण श्रद्धाभाव से इस मंत्र का जप करने से मनुष्य का कल्याण ही होता है। वह सृष्टि को राममय स्वरूप में देखने व जानने लग जाता है।
मंत्र है-
जड़ चेतन जग जीव, जग सकल राममय जानि।
बंदउॅँ सबके पदकमल सदा जोरि जुग पानि।।
किसी शून्य वन प्रांत में इस मंत्र के 11०० जप करने चाहिए। इसके बाद प्रत्येक जीव- जन्तु को जय श्री राम कहते रहें। इस मंत्र के प्रयोग से सर्वरूप में प्रभु श्री राम की उपासना करते हैं।