छिपकली व गिरगिट को लेकर जाने शगुन-अपशगुन

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पुरुष का दाहिने और स्त्रियों के बायें अंग में छिपकली का गिरना आमतौर पर शुभ ही माना जाता है। यहां पर हम पुरुष पर केंद्रित करके शकुन विचार दे रहे है, इसके उलट करने पर स्त्री सम्बन्धित शकुन विचार स्पष्ट हो जाएंगे। जैसे उदाहरण के रूप में यहां दिया गया हो, कि दाये गाल में शुभ तो यह पुरुष के संदर्भ में है, यानी शुभ रहेगा, लेकिन अगर स्त्री के संदर्भ में विचार करेंगे तो स्त्री का बाय गाल पर शुभ होगा।

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सिर के ऊपर छिपकली गिरती है तो उस व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। अगर सिर के मध्य में छिपकली गिरे तो प्रतिष्ठा प्राप्त होगी, लेकिन स्वास्थ्य में कुछ गिरावट हो सकती है। किसी के ललाट पर अगर छिपकली गिरती है तो रिश्तेदारों से सम्पर्क होता है। इससे शुभता प्राप्त होती है। छिपकली का नाक की नोक पर गिरना अशुभ रहता है। बाकी नाक पर गिरकर शुभता प्रदान करती है। छिपकली का बाये गाल पर गिरना अक्सर अशुभ ही देख गया है। अगर किसी की गर्दन पर छिपकली गिरे तो शत्रुओं के लिए अशुभ ही रहती है, जबकि जातक के लिए शुभ रहती है। छिपकली दाहिने कंधे पर गिरके राज्य से सम्मान और कार्यों में सफलता प्रदान करती है। वहीं बाये कंधे पर इसका विपरीत फल होता है। कनपटी पर छिपकली गिरे तो शुभचिंतकों को अशुभता प्रदान करता है। किसी के कान पर छिपकली गिरना शुभ ही रहता है।

छिपकली का पीठ की हड्डी पर गिरना छल छमन्द का भय प्रदर्शित करता है। पेट पर छिपकली गिरने से सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। श्रृंगार करते समय छिपकली के बोलने से वशीकरण होता है। स्नान करने के बाद छिपकली अगर वस्त्र पहनते समय बोले तो प्रेम प्रसंग कराता है। प्रस्थान करते समय छिपकली आगे, दाये, बाये बोले तो शुभ फल करती है और पीछे से स्वर का उच्चारण कर विघ्न पैदा करती है।

शकुन के रूप में छिपकली, जिस क्रिया को करते समय या जिस हालत में दिखाई देता है, उसी के अनुरूप ही फल की प्राप्ति होती है। अगर छिपकली छिपकली से झगड़ रही हो तो झगड़ा होता है। ऊपर की तरफ चढ़ती छिपकली उन्नति करवाती है और नीचे की ओर उतरती छिपकली अवनति कराती है। यदि दो छिपकलियां आपस में क्रिड़ा कर रही हों तो आनंद से समय गुजराता है। खाना खाते समय छिपकली का बोलना शुभ रहता है। प्राय: यह जीव किर्र-किर्र की आवाज करता है। पेट के मध्य नाभि पर छिपकली का गिरना दुर्दिनों की समाप्ति का द्योतक है। छिपकली जांघ पर गिरे तो विजय दिलाती है, लेकिन दाहिने जांघ पर गिरना शुभ नहीं होता है। अंडकोष पर छिपकली का गिरना अशुभ ही रहता है। छिपकली का दाहिने टांग पर गिरना ही शुभ होता है। हाथ या हथ्ोली पर छिपकली का गिरना शुभ ही होता है। गुदा पर छिपकली का गिरना शुभाशुभ माना जाता है, लेकिन कुछ विद्बानों का मानना है कि रोगामन का भी यह सूचक होता है। पां पर धन लाभ का द्योतक है। अगर किसी स्त्र के स्तनों पर छिपकली गिरे तो वह अपने कांत से रमण आवश्य करेगी। इसके फलस्वरूप उसे पुत्र लाभ होगा। अन्य लाभ भी प्राप्त होंगे।

मूहुर्त- मार्तण्य ग्रंथ में बताया गया है कि स्त्री और पुरुषों दोनों के पेट, नाभि, छाती, दाढ़ी को छोड़कर उसके ऊपर मस्तक पर्यन्त किसी भाग पर छिपकली गिरे तो स्त्री और पुरुष दोनों को शुभ होता है। पुरुष का दाहिने और स्त्रियों के बायें अंग में छिपकली का गिरना आमतौर पर शुभ ही माना जाता है। पुरुषों का बाये और स्त्रियों के दाये अंग में छिपकली का गिरना अशुभ माना जाता है। इसी तरह से गिरगिट के आरोहड़ यानी चढ़ने का फल प्राप्त होता है। चंद विद्बान मानते हैं कि छिपकली के गिरने के विपरीत गिरगिट के फल कुछ नहीं होता है। छिपकली व गिरगिट से सम्बन्धित अंग स्पष्ट होने के बाद पहने हुए कपड़ों सहित स्नान करना चाहिए। रात्रि में छिपकली के चढ़ने और गिरगिट के गिरने का विशेष फल नहीं प्राप्त होता है, लेकिन छिपकली के गिरने और गिरगिट के चढ़ने का अशुभ फल अतितीव्र पीड़ादायक होता है।

मृत्यु योग, जन्म नक्षत्र, भद्रा, व्यतीपात, वैधृत, अष्टम चंद्र समय छिपकली का गिरना बहुत ही विघ्नकारी होता है। शरीर के दाहिनी तरफ से चढ़कर बायी तरह से उतर जाए तो दोष नहीं माना जाता है। दोष शांति के लिए पंचंगव्य पीना, महामृत्युंजय मंत्र का जप करना, तिल, होम व स्वर्ण दान या घृत का छाया पात्र दान करना चाहिए। आइये अब जिस समय शकुन प्राप्त हो, उस अवस्था पर विचार करते है-
हंसते हुए- भयानक घटना का अंदेशा।
सोते हुए- देर में फल प्राप्त हो।
तन्द्रावस्था में- बहुत देर से फल प्राप्त हो।
जागृतवस्था में- तत्काल फल की प्राप्ति होती है।
भोजन करते समय- कुछ भी फल नहीं हो।
रोते हुए- मनोरथ सिद्ध हो।
आइये, हम आपको बताते हैं कि स्त्री-पुरुषों के अंगों पर छिपकली गिरने और गिरगिट के चढ़ने का फल-
अंग    –     फल
मस्तक- राज्यप्राप्ति
केशांत- मरण कष्ट
लालाट- स्थान लाभ
बायां पदांगुलि- शोक रोग
दाहिने पदांगुलि- प्रीति वर्धन
बाया पद तल- व्यापार हानि
दाहिना पद तल- ऐश्वर्य लाभ
बायी एड़ी- दुखद संवाद
दाहिनी एड़ी- यात्रा
केश बंध- रोग भय
ढोढ़ी- निधन भय
दाहिने कान- भूषण प्राप्ति
बाये कान- आयु वृद्धि
नाक- सौभाग्य लाभ
मुख- मधुर भोजन
नासाग्र- व्यसन विग्रह
बाया गाल- ईष्ट मित्र से मिलन
दाहिना गाल- आयु वृद्धि
गला- सुख प्राप्ति
गर्दन- यश लाभ
दाढ़ी- भयकारक
मंछ- सम्मान प्राप्ति
भृकुटी यानी भौंहे- धन हानि
भौह मध्य- धन लाभ
दाहिना नेत्र- बन्धु दर्शन
बाया नेत्र- हानिकारक
कण्ठ- शत्रु नाश
पृष्ठ देश यानी पीठ का मध्य- कलह
दाहिना पीठ- सुखार्थ व लाभप्रद
बाया पीठ- रोग भय
उत्तरोष्ठ- धन हानि
अधरोष्ठ- प्रिय मिलन
दाहिना कंधा- विजयी
बाया कंधा- दुश्मनों से भय
दाहिना भुजा- धन व इष्ट से लाभ
बाया भुजा- धन क्षय और राज भय
दाहिनी हथेली- वस्त्र लाभ
बायी हथेली- धन हानि
दाहिना करतल पृष्ठ- द्रव्य का सदुपयोग
बाया तरतल पृष्ठ- द्रव्य का दुरुपयोग
दाहिना अंगुष्ठ- अर्थ लाभ
बाया अंगुष्ठ- अर्थ हानि
दाहिना मणिबंध- मानसिक चिंता
बाया मणिबंध- धान्य लाभ
नखो पर- द्रव्य लाभ
दाहिने पर्श्वपंखुली- बंधु दर्शन
बाये पर्व पंखुली- हृदय वेदना
हृदय- सौख्य वृद्धि
दाहिने स्तन- मनोरंजन लाभ
बाये स्तन पर- हार्दिक क्लेश
दाहिनी कुक्षि पर- संतान लाभ व सुख
बाये कुक्षि पर- संतान पीड़ा
उदर यानी पेट- भूषण लाभ
दाहिने कटि- वस्त्र प्राप्ति
बायी कटि- सुख का अभाव
कमर के मध्य- अर्थ लाभ होगा
नाभि- मनोरथ सिद्ध होते हैं
गुह्यांग- मृत्यु भय
मूत्रेन्द्रिय- भोग प्राप्ति
योनि- विलास-भावना
गुदा- रोगागमन
अण्डकोष- दुर्भावना
दाहिना जांघ- सुख प्राप्ति
बाया जांघ- शारीरिक पीड़ा
दाहिना स्फिग- अर्थ वृद्धि
बाया स्फिग- स्त्री वियोग
दाहिना घुटना- प्रियागमन
बाया घुटना- बुद्धि हानि
दाहिना पैर- भ्रमण
बाया पैर- रोग क्लेश
पांव के बीच- स्त्री पीड़ा

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