जानिए, आदि शक्ति भगवती दुर्गा के 12 विग्रह

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हिंदू धर्म में आदि शक्ति के पूजन का विश्ोष महत्व सदा से ही रहा है। उनके पूजन से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और दोनों लोकों में उसका कल्याण होता है। उनके पावन शक्ति पीठ हैं, जिनके दर्शन पूजन से जीव का कल्याण होता है।

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उसके पूर्व जन्मों के किए गए पाप नष्ट हो जाते है। सदगति प्राप्त होती है। इसमें संशय नहीं है।

त्रिपुरा रहस्य में भगवती के 12 विग्रह

आदि शक्ति की महिमा का गुणगान जितना किया जाए, वह कम ही प्रतीत होता है। वह आद्य शक्ति है, उनकी इच्छा मात्र से संसार का संचालन हो रहा है। उन आदि शक्ति के संदर्भ में त्रिपुरा रहस्य में भगवती के 12 विग्रह बताए गए हैं। आज हम आपकों उनके बारे में संक्ष्ोप से बताने जा रहे है, जो कि निम्न लिखित है।
1- कांचीपुर, जोकि आसाम में- कामाक्षी।
2- मलियागिरी में- भ्रामरी यानी भ्रामराम्बा।
3- केरल के मालाबार में- कुमारी यानी कन्या कुमारी।
4- आनर्त गुजरात में- अम्बा।
5- करवीर यानी वर्तमान नाम कोल्हापुर में- महालक्ष्मी।
6- मालवा यानी उज्ज्ौन में- कालिका।
7- प्रयाग यानी इलाहाबाद में- ललिता अर्थात अलोपी।
8- विन्ध्याचल में- विन्ध्यवासिनी।
9- काशी अर्थात वर्तमान नाम वाराणसी में- विशालाक्षी।
1०- गया में- मंगलावती।
11- बंगाल यानी कलकत्ता में- सुंदरी यानी काली।
12- नेपाल में- गुह्येकेश्वरी।

भारत के बारह प्रधान देवी-विग्रह और उनके स्थान
(प्रात:स्मरणीय बारह प्रधान देवी-विग्रह)
काञ्चीपुरे तु कामक्षी मलये भ्रामरी तथा। केरले तु कुमारी सा अम्बानर्तेषु संस्थिता।।
करवीरे महालक्ष्मी: कालिका मालवेषु सा। प्रयागे ललिता देवी विन्ध्ये विन्ध्यनिवासिनी।।
वाराणस्यां विसालाक्षी गयायां मङ्गïलावती। बङ्गषु सुन्दरी देवी नेपाले गुह्रकेश्वरी।।
इति द्वादशरूपेण संस्थिता भारत शिवा। एतासां दर्शनादेव सर्वपापै: प्रमुच्यते।।
अशक्तों दर्शने नित्ययं स्मरेत प्रात: समाहित:। तथाप्युपसक: सर्वैंरपराधैर्विमुच्यते।।
(त्रिपुरारहस्य, महात्म्य खं० अ० 48-71-75)
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