जानिए, चौदहमुखी रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

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तुर्दशमुखी या चौदहमुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में पिरोकर सोमवार के दिन स्नानादि करके शिवलिंग से स्पर्श कराके ऊॅँ नम: शिवाय ऊॅँ नम: शिवाय…… मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव के समक्ष शीश य हृदय धारण करना चाहिए। यह साक्षात् शिव का स्वरूप है, ऐसी मान्यता है कि इसके धारण करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की खुशियां प्राप्त होती हैं। उसके मनोविकार नष्ट हो जाते है। दिन पर दिन उस व्यक्ति के अंदर भक्ति, दया, धर्म और आत्मज्ञान का शुद्ध रूप से वृद्धि होती है। चौदहमुखी यानी चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष रुद्र के नेत्र से प्रकट हुआ है। इसे हनुमान जी का स्वरूप मानते हैं। बलशाली हनुमान का प्रतीक होने से यह रुद्राक्ष भूत-पिशात तथा अन्य संकटों से रक्षा करके बल और साहस प्रदान करता है। मान्यता के अनुसार चौदहमुखी रुद्राक्ष को साक्षात भुवनेश्वर का प्रतीक स्वरूप माना गया है। पुराणों में इसके विषय में बताया गया है कि यह चौदह विद्या, चौदह लोक, चौदह मनु, चौदह इंद्र का साक्षात स्वरूप है। चौरहमुखी को वृक्ष से उत्पन्न सर्वदेवमय, विशिष्ट रुद्राक्ष माना जाता है। इसे ब्रह्म बुद्धि अर्थात वेदांतिक, दार्शनिक, विद्यायुक्त विचारधारा प्रदान करने में समर्थ माना गया है। चतुर्वर्गों का फल चाहने वाले को यत्नपूर्वक चौदहमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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तांत्रिक धारणा के अनुसार इसमें हनुमान जी की शक्ति निहित रहती है। चौदहमुखी रुद्राक्ष को गले में धारण करने का विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान शंकर इसे धारण करते है। इसे धारण करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शारीरिक, मानसिक व आर्थिक सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।

पद्म पुराण के अनुसार चौदह मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना श्रेयस्कर होता है।
मंत्र है- ऊॅँ नमो नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार चौदह मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना श्रेयस्कर होता है।
मंत्र है- ऊॅँ डं मां नम:
महाशिव पुराण के अनुसार चौदह मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना श्रेयस्कर होता है।
मंत्र है- ओं नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार चौदह मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना श्रेयस्कर होता है।
मंत्र है- ऊॅँ नमो नम:
चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का अन्य पावन मंत्र निम्न लिखित है।
मंत्र है- ऊॅँ अौं हस्फ्रें खव्फ्रें हस्ख्फ्रें

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