जानिये, स्नान मंत्र- आसन और शरीर शुद्धि मंत्र- प्रदक्षिणा मंत्र- क्षमा प्रार्थना

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यदि स्नान करते समय मंत्र जप कर लिया जाए तो यह परम पुण्यकारी होता है। भारतीय संस्कृति में दैनिक जीवन में उपयोग के छोटे-छोटे मंत्र है, जो हमारी जीवनश्ौली का अंग है।

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यदि हम उनको अपना लें तो सही अर्थों मंे धर्म परायण बन सकते हैं। इस लेख में इन मन्त्रों के बारे में बताने जा रहे है, इस मंत्र का जप करके स्नान किया जाए तो श्रेयस्कर होता है।

स्नान मंत्र है-

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी
जलेअस्मिन्सन्मिधिं कुरु।।

आसन और शरीर शुद्धि मंत्र-

ऊॅँ अपवित्र: पवित्रो वा
सर्वावस्थां गतोअपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स
वाह्यभ्यंतर शुचि:।।

प्रदक्षिणा मंत्र-

यानि कानि पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि तानि प्रणश्चन्ति प्रदक्षिणा पदे-पदे।।

क्षमा प्रार्थना-

मंत्र हीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे।।

किसी भी मंत्र का जप आरम्भ करने से पहले स्नान करते समय स्नान मंत्र का उच्चारण करें। उसके बाद जब मंत्र जप हेतु आसन बिछायें तो आम्रपल्लव से आसन और अपने शरीर के ऊपर जल छिड़कते हुए शुद्धि मंत्र पढ़ें। फिर जप आरम्भ करें। जप पूर्ण करके प्रदक्षिणा करते हुए प्रदक्षिणा मंत्र पढ़ें। अंत में क्षमा प्रार्थना मंत्र पढ़कर भगवान से प्रार्थना करें कि हे प्रभु मैं मंत्र हीन, क्रियाहीन और भक्तिहीन हूं। यदि मुझसे जाने- अनजाने में कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करें।

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1 COMMENT

  1. सर यहां बहुत मंत्र गलत या अधूरे है कृपया जानकारी को पर करे

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