माता वैष्णों की गुफा में मौजूद हैं ये धार्मिक चिन्ह

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माता वैष्णों की महिमा का बखान विभिन्न धर्म शास्त्रों में भी किया गया है। हर वर्ष लाखों लोग माता वैष्णों के दर्शन-पूजन करने को जाते हैं, इस लेख में हम माता वैष्णों की गुफा में मिलने वाले अन्य धार्मिक चिन्हों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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जिनका दर्शन भी श्रद्धालु कर सकते हैं, हालांकि अब गुफा मार्ग अब बंद हो गया है, लेकिन वर्ष में कुछ अवधि के लिए श्रद्धालुओं के लिए यह द्बार खोला जाता है। जानिये, माता वैष्णों की गुफा के प्राचीन चिन्हों के बारे में-


माता वैष्णों की गुफा का प्रवेश द्बार अत्यन्त संकरा है। आगे बढ़ने पर चरण गंगा के जल की शीतल धारा से चलते हुए धीरे-धीरे अग्रसर होना होता है। गुफा का मार्ग भी अत्यन्त संकरा और कठिन है। अगर बिजली या रोशनी नहीं है तो यात्री बेचैनी महसूस कर सकते हैं। माता की कृपा से भजन-कीर्तन करते और माता वैष्णों का जयकारे लगाते श्रद्धालु दर्शन को जाते हैं। चरण गंगा के बाये हाथ में एक प्राकृतिक शिलाखंड भी साथ-साथ आगे तक गया है।

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इस शिलाखंड पर क्रम से पहले पांडवों की प्रतीक पिंडियां है, फिर सप्तऋषियों की सात प्रतीक स्वरूप सात पिंडियां है। इसके बाद एक प्राकृतिक खम्बा है। जिसे प्रहलाद का तप्त स्तम्भ या थम्म कहा जाता है। इसके कुछ आगे बढ़ने पर श्ोर का पंजा और श्ोर का मुख बना हुआ है। इस स्थान से कुछ थोड़ा आगे जहां नयी गुफा का द्बार है, गुफा की छत पर श्ोष नाग की प्राकृतिक मूर्ति है।

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श्ोषनाग की आकृति , उसके मुख और अन्य छोटे-छोटे सांपों की आकृतियां श्रद्धालुओं को आश्चर्य में डालने वाली हैं, जो कि भक्त के मन में अलौकिकता का बोध कराती हैं।

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