पन्ना कब व कैसे करें धारण, जाने- गुण, दोष व प्रभाव

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दुनियाभर में पन्ने के विभिन्न नाम हैं। संस्कृत में इसे मरकत, गुरुत्मत, हरिन्मणि, पाचि, गुरुडांकित, सोपर्णि नाम से जाना जाता है, जबकि उर्दू-फारसी में इसे जमर्रुद नाम से जाना जाता है। हिंदी में इसे पन्ना और अंग्रेजी में एमेरॉल्ड के नाम से जाना जाता है। आजकल सबसे शुद्ध और श्रेष्ठ पन्ना कोलम्बिया की खानों में मिलता है। दूसरे दर्जे के पन्ने रूस के यूराल पर्वत व ब्राजील में मिलते है। इनके अलावा मिश्र, नार्वें, भारत, इटली, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और आस्टिàया में भी पन्ने की खानें मौजूद है।

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पन्ना को बुध ग्रह का रत्न कहा जाता है। यानी इसका स्वामी बुध है। पूर्ण रूप से शुद्ध पन्ना मिलना बहुत ही मुश्किल होता है। इस तरह के विशुद्ध पन्ने का मूल्य प्राकृतिक माणिक्य और हीरे से भी अधिक होता है। एक जाने-माने विख्यात रत्न विश्ोषज्ञ का इसके सम्बन्ध कुछ ऐसा कहा कि इसकी आभा सूर्य के प्रकाश, छाया या मोमबत्ती की क्षीण रोशनी में नष्ट नहीं होती है यानी पन्ने की आभा अद्बितीय है। अतुलनीय है। यदि किसी व्यक्ति की आंख्ों किसी वस्तु को देखते- देखते थक गई हो तो पन्ने से वह पुन: तरोताजा हो उठेंगी। यह बेहद कोमल और नरम रत्न है।

जानिए, पन्ने का इतिहास

इतिहासकार मानते हैं कि प्राचीनकाल पन्ने की खानें अधिकतर मिश्र में थीं। भारत में पन्ना मुख्य रूप से दक्षिण महानदी, हिमालय, सोमनदी व गिरनार में पाया जाता है। पन्ना मुख्य रूप से पांच रंगों का होता है।
1- हरे पानी के रंग जैसा
2- हल्के सेडुल फूल के जैसा
3- सिसस के फूल के रंग जैसा
4- मयूर पंख जैसा
5- तोते के पंख जैसे रंग वाला

आइये जानते है, पन्ने के गुण

पन्ना के मुख्य रूप से छह गुण होते है।
1- पन्ना चिकना होता है।
2- यह पारदर्शी होता है।
3- यह कड़कदार अर्थात भारी होता है।
4- इसके चारों ओर से किरण्ों छिटकती हैं।
5- यह स्निग्ध व लोचदार होता है।
6- यह सूर्य के समान स्वत: प्रभाव से उद्दीप्त होता है।
आयुर्वेद प्रकाश के मुताबिक शुद्ध पन्ना जल की तरह स्वच्छ, पारदर्शक, भारी, आबदार, लोचदार, मृदु और बहुरंगी गुणों से युक्त होता है। ऐसा पन्ना ही उत्तम माना जाता है।

आइये जानते हैं, पन्ने की शुद्धता की जांच कैसे करें

1- अगर पन्ने को पानी भरे गिलास में डाल दिया जाए तो उसमें से हरी रश्मियां निकलती हैं।
2- अगर पन्ने को सफेद कपड़े में रखकर थोड़ी ऊंचाई पर रख दिया जाए तो कपड़ा हरे रंग जैसा दिखता है।
3- यह अपने औसत भार से हल्का प्रतीत होता है।

भूल से भी न प्रयोग करें ऐसे पन्ने

अगर दोषयुक्त पन्ने का इस्तेमाल किया जाए तो इसका फायदे के बजाए नुकसान होता है, इसलिए दोषयुक्त पन्ने का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए।
1- जिस पन्ने में धब्बा हो, यह स्त्री के लिए घातक होता है।
2- जिस पन्ने में पतली-सीधी रेखा हो या कई पतली-पतली रेखाएं हों, यह धारण करने से धन वैभव का नाश होता है।
3- जिस पन्ने में जाल सा गुंथा दिख्ो। यह अशुभ माना जाता है। इसके धारण करनेसे अस्वस्थता होती है।
4- जिस पन्ने में छोटी-छोटी टूटी हुई धारियां हो। यह वंश वृद्धि के लिए घातक होता है।
5- जिसमें गढ्डा हो, इसे धारण करने से शत्रु भय बढ़ता है।
6- जो पन्ना खुरदरा हो, इसे धारण करने से पशुधन का नुकसान होता है।
7- जिसमें चमक न हो या सुन्न हो, ऐसा पन्ना धन की हानि कराने वाला होता है।
8- जिसका रंग सोने जैसा हो, इससेसभी तरह का कष्ट उत्पन्न होता है।
9- जिसमें रक्त के समान बिंदु हो, इससे सभी तरह की सुख-सम्पति का नाश करने वाला होता है।
1०- जिसका रंग शहद जैसा हो, ऐसा पन्ना माता-पिता के लिए कष्टदायक होता है।
11- जिसमें पीली बिंदियां दिखाई दें, इससे पुत्र नाश की स्थिति पैदा होती है।
13- जिसमें दो रंग दिख्ों, इससे बल-बुद्धि का नाश होता है।

जानिए, पन्ने के उपरत्न

पन्ना के बदले संग पन्ना, मरगज या पीतपनी में से किसी एक रत्न को धारण किया जा सकता है। ये पन्ने की तुलना में कम मूल्य के होते हैं। लेकिन इनका प्रभाव पन्ने की तरह नहीं होता है।

जानिए, पन्ने को कौन धारण कर सकता है

पन्ना के सम्बन्ध में माना जाता है कि जो कोई इसे धारण करेगा, उसे अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। यह बात काफी हद तक सही है, लेकिन कुंडली का अवलोकन करवा ही इसे धारण करना श्रेयस्कर होता है।
1- बुधवार का रत्न पन्ना है और बुध मिथुन राशि का स्वामी है। इसलिए मिथुन लग्न वालों के लिए पन्ना धारण करना सर्वोत्तम रहता है। इससे चौतरफा फायदा प्राप्त होता है।
2- कन्या लग्न वालों के लिए भी पन्ना लाभदायक माना जाता है। चूंकि बुध कन्या लग्न और पन्ना रत्न का स्वामी है।
3- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध छठवे और आठवें भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक के लिए पन्ना धारण करना लाभकारी होता है।
4- यदि कुंडली में में बुध मीन राशि में स्थित हो तो पन्ना धारण करना परम लाभप्रद है।
5- अगर बुध धनेश होकर नवम भाव में स्थित हो तो पन्ना धारण करना कल्याणकारी होता है।
6- यदि बुध सप्तमेश होकर द्बितीय भाव में, नवमेश होकर चौथ्ो भाव में या भाग्येश होकर छठे भाव में स्थित हो तो पन्ना पहनना अन्यन्त शुभकारक होता है।
7- यदि बुध श्रेष्ठ भाव का स्वामी होकर अपने भाव से अष्टम स्थान में स्थित हो तो पन्ना आवश्य ही धारण करना चाहिए।
8- अगर बुध की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो पन्ना पहनना लाभकारी सिद्ध होता है।
9- अगर कुंडली में बुध श्रेष्ठ भाव- दो, तीन, चार, पांच, सात, नौ, दस अथवा 11 का स्वामी होकर अने भाव से छठें स्थान पर स्थित हो तो पन्ना पहनना अति उत्तम रहता है।
1०- अगर बुध मंगल, शनि, राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो तो पन्ना पहनना शुभ रहता है।
11- अगर बुध पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि हो तो पन्ना आवश्य धारण करना चाहिए।
12- व्यापार, वाणिज्य, गणित व एकाउंटेंसी सम्बन्धित कार्य से जुड़े लोग पन्ना आवश्य धारण करें। जातक को इससे अच्छा फल प्राप्त होता है।

आइये जानिए, राशि के मुताबिक पन्ने का व्यवहार

पन्ना प्रत्येक राशि में भिन्न-भिन्न फल प्रदान करता है। आइये जानते है क्या फल प्राप्त होता है।
1- मेष लग्न में बुध दो अनिष्ट भावों तृतीय व षष्ठ का स्वामी होता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के लिए पन्ना बेहद हानिकारक होता है।
2- वृष लग्न में बुध द्बितीय व पंचम त्रिकोण का स्वामी होकर एक योगकारक ग्रह बन जाता है, इसलिए इस लग्न के जातकों द्बारा पन्ना धारण करने पर पारिवारिक शांति, धन लाभ, बुद्धि-बल, संतान सुख, मान-सम्मान, यश-कीर्ति और भाग्योदय प्राप्त होता है। बुध की महादशा में पन्ना धारण करना विश्ोष रूप से लाभप्रद रहता है। यदि वृष लग्न के जातक पन्ना को हीरे के साथ धारण करें तो जीवन में सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती है।
3- मिथुन लग्न में बुध चतुर्थ भाव का स्वामी है। इसलिए इस लग्न के जातकों को पन्ना पहनना चाहिए, क्योंकि यह हमेशा कष्ट और विपत्ति से रक्षा करता है। बुध की महादशा में पन्नपा पहनना विश्ोष लाभकारी होगा।
4- कर्क लग्न में बुध तृतीय द्बादश भाव का स्वामी होता है। ये दोनों भाव अशुभ होते है। इसलिए जातकों को पन्ना नहीं धारण करना चाहिए।
5- सिंह लग्न में बुध द्बितीय व एकादश भाव का स्वामी होता है। इसलिए इस लग्न के जातकों द्बारा बुध की महादशा में में पन्ना धारण करने पर आर्थिक लाभ, सन्तान, पारिवारिक सुख व यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है।
6- कन्या लग्नमें बुध लग्न और दशम भाव का स्वामी होता है, इसलिए इस लग्न के जातकों को पन्ना पहनने से हमेशा लाभ होता है। यह जातक की हर तरह से शरीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर रक्षा करता है। इससे आयु में वृद्धि और व्यवसाय में प्रगति होती है। राज कृपा और मान-सम्मान आदि बढ़ता है।
7- तुला लग्न में बुध नवम और द्बादश भाव का स्वामी होता है। द्बादश भाव में बुध की मूल त्रिकोण राशि पड़ती है, परन्तु साथ ही नवम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण बुध को तुला लग्न में शूद्र ग्रह माना गया है। इसलिए अगर तुला लग्न के जातक हीरा के साथ पन्ना धारण करें तो उन्हें परम लाभ व सुख प्राप्त होता है, क्योंकि तुला लग्न के स्वामी शुक्र और बुध में परम मित्रता है।
8- वृश्चिक लग्न में बुध अष्टम व एकादश भाव का स्वामी है। वृश्चिक लग्न के स्वामी मंगल और बुध में मित्रता है। इसलिए बुध वृश्चिक लग्न के लिए शूद्र ग्रह नहीं माना जाता है। इसके अलावा अगर बुध एकादश भाव का स्वामी होकर लग्न, चतुर्थ, पंचम या नवम भाव में स्थित हो तो उसकी महादशा में पन्ना धारण करने पर अधिक लाभ होता है। इससे धन सम्पदा में वृद्धि होती है।
9- धनु लग्न में बुध सप्तम और दशम भाव का स्वामी है। यह केंद्राधिपति दोष से दूषित होता है। फिर भी यदि बुध लग्न, द्बितीय, पंचम, नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित हो तो पन्ना धारण करने से बुध की महादशा में आर्थिक लाभ, व्यवसाय में उन्नति और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है। अगर बुध किसी निकृष्ट भाव में स्थित हो तो पन्ना पहनना ही श्रेयस्कर होता है।
1०- मकर लग्न में बुध षष्ठम व नवम भाव का स्वामी होता है। नवम त्रिकोण में बुध की मूल त्रिकोण राशिा में कन्या होती है। साथ ही बुध मकर लग्न के स्वामी शनि का मित्र भी है, इसलिए मकर लग्न वाले जातकों के लिए पन्नपा अति शुभ व लाभकारी रत्न माना गया है। अगर मकर लग्न वाले पन्ना के साथ नीलम धारण करें तो परम लाभ की प्राप्ति होती है। यह बुध की महादशा में लाभकारी रहता है।
11- कुम्भ लग्न में बुध पंचम त्रिकोण और अष्टम भाव का स्वामी है। इसलिए कुम्भ लग्न वाले जातकों के लिए यह शुभ ग्रह माना गया है। बुध की महादशा में इस लग्न के जातकों को पन्ना पहनने से विश्ोष लाभ होता है। यदि पन्ने के साथ ही हीरा भी पहन लिया जाए तो अच्छे परिणाम सामने आते हैं।
12- मीन लग्न में बुध चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होने के कारण केंद्राधिपति दोष से दूषित होता है। फिर भी अगर मीन लग्न मे बुध लग्न, द्बितीय, पांचवें, नौवें, दसवें या एकादश भाव में स्थित हो या फिर स्वराशि में सातवें भाव में हो तो आर्थिक दृष्टि से बुध की महादशा में पन्ना धारण करना लाभ प्रद रहता है। लेकिन इस बात का विश्ोष ध्यान रखना चाहिए कि बुध मीन लग्न के लिए प्रबल मारकेश है, इसलिए जन्मकुंडली के अनुसार जिसकी आयु पूरी हो रही हो, उसे पन्ना छूना भी नहीं चाहिए, क्योंकि बुध आर्थिक लाभ देकर मारक ग्रह बन जाता है।

जानिए, पन्ने के विकल्प क्या है
पन्ना एक बेशकीमती रत्न है। जो इसे नहीं खरीद सकते हैं, वे इसके विकल्प के तौर पर एक्वामेेरीन, हरे रंगा जिरकॉन, फिरोजा या पेरीडॉट नामक रत्न धारण करते हैं। अगर हरा हकीक मिल जाए तो उससे भी फायदा मिलता है। ध्यान देने के बात यह है कि पन्ना के साथ कभी भी मूंगा व मोती कभी धारण नहीं करना चाहिए।

आइये, जानते है पन्ने के गुण क्या हैं
पन्ना धारण करने से चित्त की अशांति व विकलता मिटती है। यदि इसे छात्र धारण करें तो बुद्धि पर सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। रोगियों के लिए भी यह अच्छा प्रभाव डालने वाला है। जिस घर में पन्ना होता है, वह घर समृद्धशाली रहता है। सुयोग्य संतान का सुख मिलता है। प्रेम बाधा शांत और सर्प भय का नाश होता है। धारक पर जादू-टोने का असर नहीं होता है। अगर सुबह के समय पन्ने का शुद्ध जल में रखकर आंखों को धोये तो नेत्र रोग कभी नहीं होता है। यदि आंखों में कोई रोग होता है तो वह भी दूर हो जाता है। गर्भणी स्त्री इसे अपनी कमर में बांध ले तो शीघ्र प्रसव होता है।

आइये जानते है कैसे धारण करना चाहिए पन्ना

पन्ना को बुधवार को चांदी की अंगूठी में में जड़वाना चाहिए। इसका वजन तीन रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। इसे विधिपूर्वक उपासना करने के बाद ऊॅँ बुं बुधाय नम:……….मंत्र क नौ हजार बार जप करके किसी शुक्ल पक्ष के बुधवार को सूर्योदय के दो घंटे बाद धारण करना चाहिए। वैसे पन्ने को सोने की अंगूठी में भी पहना जा सकता है। लेकिन यह चांदी की अंगूठी में ही लाभकारी सिद्ध होता है। इसे दाये हाथ की कनिष्ठा अंगुली में धारण करना चाहिए।

आइये, जानते है किन रोगों के उपचार में कारगर है पन्ना

आयुर्वेद प्रकाश में पन्ने के बारे में लिखा गया है कि यह विषय को मारने वाला, शीतल, पित्त को दूर करने वाला, रुचिकारक, पोषक और भूत-प्रेत की बाधा को नष्ट करने वाला प्रभावशाली रत्न है। रसरत्न समुच्चय पुस्तक में इसके बारे में लिखा गया है कि पन्ना ज्वर, वमन, दमा, सन्निपात, अपच, बवासीर, पांडु रोग व विष आदि से छुटकारा दिलाकर शरीर को सौन्दर्यवान व बलवान बनाता है। यह मिरगी व पेचिश की अचूक दवा है। इन सभी रोगों में पन्ने की भस्म या पिष्टी का इस्तेमाल करना चाहिए। यह हर तरह के घाव व सूजन के लिए रामबाण सिद्ध होता है।
1- पन्ने को 21 दिन तक केवड़े के जल में रख्ों। फिर उसे पीसकर मलाई के साथ खायें। इससे प्रबल रूप से बल, बुद्धि व वीर्य बढ़ता है।
2- पथरी बहुमूत्र इत्यादि रोगों में पन्ने की भस्म उत्तम रहती है।
3- आधासीसी, बवासीर या किसी किस्म का ज्वर, गुर्दा व रक्त सम्बन्धित बीमारी में पन्ने की भस्म को शहद के साथ चाटने पर शीघ्र लाभ होता है।

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