शत्रु को पराजित करना हो या मित्र बनना हो तो करें इन मंत्रों का जाप

0
6231

शत्रु को पराजित करना हो या मित्र बनना हो तो इन मंत्रों का जाप करें। यदि आपका समय बुरा चल रहा हैं। शत्रु लगातार आप पर हावी होते जा रहे हैं तो रामायण के कुछ मंत्र आपको शत्रुओं के भय से मुक्ति दिला सकते हैं। यदि श्रद्धाभाव से मंत्र जाप व पूजन-अर्चन किया जाए तो शत्रुओं का मान मर्दन हो जाता है और आप विपरीत परिस्थितियों से निकलने में सफल होते हैं। रामायण के कुछ मंत्र सिद्ध होने से सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होते हैं, वह निम्न हैं-

1- शत्रु को पराजित करने वाला मंत्र

कर सारंग साजि कटि भाथा।
अरि दल दलन चले रघुनाथा।।

Advertisment

किसी पावन स्थल पर प्रभु श्रीराम की प्रतिमा को देखकर इस अनुष्ठान की शुरुआत करनी चाहिए। एक कमल कट्टा लेकर श्री राम की प्रतिमा के पास जाएं और उनके पांव में इसे रख कर इस मंत्र के 1००० बार पाठ करना चाहिए। पाठ के बाद कमल कट्टा उठा लाए और कहीं छुपा कर रख दें। दूसरे दिन दूसरा कमल कट्टा लेकर फिर इसी क्रिया को कीजिए। पहले कमलगट्टे के साथ इस कमलगट्टे को रखकर छुपा लीजिए। इस तरह से 4० दिन करना होगा। इस अनुष्ठान की समाप्ति पर आपके पास 4० कमलगट्टे होंगे। इन्हें एकांत में पीस लें और इनका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में अपनी कनिष्ठिका का रक्त और चमेली की जड़ का अर्क मिलाकर फिर एक बटिका बनाकर केले के पत्ते की छाया में सुखा लें।

यह भी पढ़ें- जानिए, हनुमान जी के द्वादशनाम का माहात्म्य

सुखाने के पहले इसमें आर- पार एक छिद्र कर लें। जब यह बटिका सूख जाए तो काले सूत में डालकर कंठ में धारण कर लें। उक्त मंत्र को जप कर शत्रु के सम्मुख जाएं। इस मंत्र के प्रभाव से शत्रु को पराजित किया जाता है।

2- शत्रु को मित्र बनाने का मंत्र

गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
गोपद सिधु अनल सितलाई।।
नवरात्रि के पावन समय पर इस मंत्र को 1००० बार जाप प्रतिदिन किया जाए, फिर जब आवश्यकता हो तो इस मंत्र से शक्तिकृत करके गोरोचन का टीका लगा ले तो किसी भी कायवश शत्रु के समक्ष जाएं तो वह मित्र बन जाता है।

 

3-शत्रु नाशक मंत्र
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसन्हि महॅ जीभ बिचारी।।
शनिवार को हनुमान जी की पूजा करके पीपल के वृक्ष को लाल झंडी व खड़ाऊ प्रदान करें। रात में हनुमान जी की मूर्ति के सम्मुख रक्तवर्ण के वस्त्र धारण करके रक्त चंदन की माला से इस मंत्र के 1० हजार जाप करें।

यह भी पढ़ें- हनुमत की तस्वीर लगाने में बरतें ये सतर्कता

इस प्रयोग को 11 दिन तक करना होता है। जब किसी के शत्रु अत्यधिक बढ़ जाएं तो इस मंत्र के प्रयोग से हनुमानजी प्रसन्न होते है और शत्रुओं का मान मर्दन करते हैं।

यह भी पढ़ें- हनुमान जी के 1०8 नाम करते हैं संकटों का नाश

यह भी पढ़ें- जानिए, श्रीयंत्र यानी श्रीचक्र की महिमा, प्राण प्रतिष्ठा विधि, वैज्ञानिक भी हैरान

यह भी पढ़ें – वैैष्णो देवी दरबार की तीन पिंडियों का रहस्य

यह भी पढ़ें – जानिए, क्या है माता वैष्णवी की तीन पिण्डियों का स्वरूप

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here