उर्ध्व सर्वांगासन कैसे करना चाहिए, जानिए

0
1311

र्ध्व सर्वांगासन के प्रभावी आसन माना जाता है। इसे नियमित रूप से करने से साधक स्वस्थ्य रहता है। उसके शरीर के उपरी भाग यानी मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है, जोकि शरीर पर बहुत ही प्रभावी रूप से सकारात्मक प्रभाव डालता है। आइये हम आपको बताते हैं कि इस आसन को कैसे किया जाना चाहिए? किस तरह से और कितने समय इसे करना श्रेयस्कर होता है?, जिससे आपको इस आसन को करने का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

जानिए, उर्ध्व सर्वांगासन करने की विधि-
पहले शांति पूर्वक अपने आसन पर चित्त लेट जाएं। कुहनी को जमीन पर सटा कर छाती से पैरों तक का भाग अपने हाथों के सहारे ऊपर की ओर सीधा उठाएं और अपनी कमर को हाथों से साधे रहे। पैर के अंगूठे और नासिका एक सीध में रहे। सिर और कोहनियां जमीन से लगी रहें। इस आसन को कम से कम दस मिनट करना चाहिए। गर्भवती स्त्रियां इस आसन को कदापि न करें। इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इस आसन को यदि नियमित रूप से किया जाए तो स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव दिखने लगता है। इस आसन को कदापि जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए, जितना धीरे-धीरे व सहजता से इस आसन को किया जाए, उतना ही इसका सकारात्मक प्रभावी शरीर पर पड़ता है।

प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)

Advertisment

नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here