वैज्ञानिक दृष्टि से भी है पीपल का बहुत महत्व, पीपल के निकट यह बिल्कुल न करें

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पीपल को अत्यन्त पवित्र वृक्ष माना जाता है। हिंदू धर्म यानी सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। इसे देव वृक्ष के नाम से भी पुकारा जाता है। इस पर देवताओं का वास होता है। कुछ विद्बान इस ब्रह्मराक्षस, भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी-शाकिनी आदि का निवास भी मानते हैं। पीपल पर किसी का निवास हो, लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए। इसका निकट निवास हानिप्रद नहीं है। यह हमेशा ही कल्याण करता है। पीपल वृक्ष से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना निषेध है।

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शास्त्रों के अनुसार रविवार को पीपल पर जल चढ़ाने से घर में दरिद्रता आती है। धन-वैभव का नाश होता है। पीपल के वृक्ष को कभी काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितरों को कष्ट भोगने पड़ते हैं और वंशवृद्धि में रुकावट आती है। किसी विशेष काम से विधिवत नियमानुसार पूजन करने व यज्ञादि पवित्र कामों के लक्ष्य से पीपल की लकड़ी काटने पर दोष नहीं लगता, लेकिन इसके पूर्व पीपल की विधिवत पूजा-अर्चना कर लेनी चाहिए, जिसका धर्म शास्त्रों में उल्लेख है। यज्ञ-हवन व पुराण कथा आदि के लिए पीपल की छाया सर्वोत्तम मानी गई है।

हमारे हिंदू धर्म में मान्यता यह है कि पीपल की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसका एक तर्क यह है कि इसकी पूजा इसलिए की जाती है, ताकि हम वृक्षों की सुरक्षा और देखभाल करें और वृक्षों का सम्मान करें, उन्हें काटें नहीं।

पीपल एक मात्र ऐसा वृक्ष है, जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है, इसीलिए अन्य वृक्षों की अपेक्षा इसका महत्व काफी अधिक बताया गया है। हिदू मान्यता है कि इसके पत्ते-पत्ते में देवता का वास होता है। विशेषकर विष्णु का। अथर्ववेद और छंदोग्य उपनिषद में इस वृक्ष के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। श्रीमद्भागवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा-
‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:’

भावार्थ- मैं वृक्षों में पीपल हूं। पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। स्कंदपुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है। पीपल वृक्ष का पूजन करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते है

पीपल की पूजा से सदा होता है कल्याण

1- अमावस्या और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करने से पेरशानियां दूर होती हैं।
2- अमावस्या तिथि पर पीपल के वृक्ष में स्वयं भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी का वास होता है, इसलिए इस तिथि पर पीपल पूजा से गरीबी दूर होती है।
3- पीपल की पूजा करने से मनुष्यों के हजारों पापों का नाश हो सकता है। पद्मपुराण के अनुसार पीपल को प्रणाम करने और उसकी परिक्रमा करने से आयु बढ़ती है।


4- पीपल को जल चढ़ाने से कुंडली के सभी दोष शांत होते हैं और दुर्भाग्य से मुक्ति मिल सकती है।
5- पीपल में पितरों का वास माना जाता है। इसमें सब तीर्थों का भी निवास होता है, इसीलिए मुंडन आदि पवित्र संस्कार पीपल के नीचे करवाने की परंपरा है।
6- शनि की साढ़ेसाती या ढय्या से बचने के लिए हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
7. शाम को पीपल के नीचे दीपक जलाने से अक्षय पुण्य मिलता है। बड़ी-बड़ी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। पीपल के पेड़ के नीचे वैसे तो रोजाना सरसों के तेल का दीपक जलाना अच्छा काम है। यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो शनिवार की रात को पीपल के नीचें दीपक जरूर जलाएं।
8- पीपल के तने पर सफेद कच्चा सूत लपेटने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

पीपल के वृक्ष के निकट यह बिल्कुल भी न करें
लघु शंका, शौच, मंजन, कुल्ला आदि न करें। कहने का तात्पर्य यह है कि पीपल के वृक्ष के नीचे कोई भी अशुद्ध, घृणित और अपवित्र कार्य न करें।

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