नई दिल्ली, 4 जून, (एजेंसी)। “Stolen” कोई आम थ्रिलर नहीं, बल्कि यह एक मानसिक झटका देने वाली फिल्म है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है—क्या हम एक असंवेदनशील समाज में जी रहे हैं, जहां न्याय और मानवता अब केवल शब्द बनकर रह गए हैं?
‘पाताल लोक’ के हथौड़ा त्यागी और ‘स्त्री 2’ के जना जैसे दमदार किरदार निभाने वाले अभिषेक बनर्जी अब “Stolen” में भावनात्मक और नैतिक संघर्ष का चेहरा बनकर उभरे हैं। फिल्म ने रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया है।
📽️ कहानी जो रुला देगी और झकझोर देगी
एक मां रेलवे प्लेटफॉर्म पर सो रही होती है… और उसकी गोद से बच्चा चुपचाप गायब हो जाता है।
इस एक घटना से गौतम (अभिषेक बनर्जी) और रमन (शुभम वर्धन) की यात्रा एक सामाजिक और नैतिक उथल-पुथल में बदल जाती है।
उनकी मुलाकात एक रहस्यमयी महिला झुम्पा (मिया मेल्जर) से होती है, और कहानी बदल जाती है—अपराध से विवेक, और सवालों से आत्मग्लानि तक।
🧠 सिनेमाई मनोरंजन या सामाजिक सच्चाई?
‘Stolen’ सिर्फ फिल्म नहीं है—यह एक ध्यानाकर्षण है उस अंधेरे की ओर, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं:
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गरीबों के बच्चों की तस्करी
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पुलिस तंत्र की असंवेदनशीलता
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आम आदमी की मजबूरी और चुप्पी
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मीडिया की चुप्पी और सिस्टम की चूक
💬 सोशल मीडिया पर रिएक्शन:
🔹 “यह फिल्म देखने के बाद मुझे दो बार सोचना पड़ा कि क्या हम वाकई एक सभ्य समाज हैं।”
🔹 “#Stolen ने सिर्फ मेरा दिल नहीं, मेरी आत्मा को भी हिला दिया।”
🔹 “अभिषेक बनर्जी इस पीढ़ी के सबसे मजबूत एक्टर्स हैं – इस फिल्म ने साबित कर दिया।”
🎬 निर्देशन और कास्टिंग की जीत
डायरेक्टर करण तेजपाल ने इस फिल्म के जरिए एक चुपचाप रोने वाले समाज का शोरगुल भरा आईना पेश किया है।
अभिषेक और शुभम की जोड़ी आपको गहराई तक छूती है—कोई हाय-तौबा नहीं, सिर्फ खामोश चीखें।