अक्षय तृतीया पर भगवद्गीता का पाठ (गीता पठन) करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। शास्त्रों और धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन गीता का पाठ करने से जो फल मिलता है, वह इस प्रकार बताया गया है:
अक्षय पुण्य की प्राप्ति: अक्षय तृतीया पर गीता का पाठ करने से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता। यह पुण्य जन्म-जन्मांतर तक आत्मा के साथ रहता है।
पापों का नाश: कहा जाता है कि गीता पठन से पूर्व जन्मों के पाप और इस जन्म के भी पाप नष्ट हो जाते हैं, विशेषकर यदि पाठ श्रद्धा और भक्ति भाव से किया जाए।
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि: अक्षय तृतीया पर गीता पठन करने वाला व्यक्ति जीवन के चारों पुरुषार्थ — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष — को सहजता से प्राप्त कर सकता है।
कृष्ण कृपा: गीता श्रीकृष्ण का वाणी स्वरूप है। अतः इस दिन गीता पाठ करने से विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि: अक्षय तृतीया के शुभ दिन गीता पाठ से चित्त की शुद्धि होती है, मन शांत रहता है और आंतरिक बल बढ़ता है।
कर्म योग की सिद्धि: गीता कर्मयोग, भक्ति योग और ज्ञान योग का उपदेश देती है। अक्षय तृतीया पर इसका पाठ करने से जीवन में संतुलन और योग की भावना विकसित होती है।
विशेष सुझाव:
यदि संभव हो तो इस दिन गीता के 18 अध्यायों का संपूर्ण पाठ करें।
यदि समय कम हो, तो गीता के सातवें, 12वां अध्याय (भक्ति योग) या 15वां अध्याय (पुरुषोत्तम योग) अवश्य पढ़ें, क्योंकि इन्हें पढ़ने का फल भी अत्यंत महान बताया गया है। इन अध्यायों का श्रवण भी परमपुण्यकारी माना गया है।
पाठ से पहले और बाद में भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करना चाहिए।