मदरसे में छात्रा से कौमार्य प्रमाणपत्र मांगने पर बवाल

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विदेशी फंडिंग की जांच शुरू

मुरादाबाद, 26 अक्टूबर (एजेंसियां)। मुरादाबाद के पाकबड़ा क्षेत्र स्थित मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात में आठवीं कक्षा में दाखिले से पहले 13 वर्षीय छात्रा से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट (कौमार्य प्रमाणपत्र) मांगे जाने के मामले ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। पुलिस जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। छात्राओं के हॉस्टल से लेकर कक्षा-कक्ष तक खामियां मिली हैं, वहीं विदेशी फंडिंग को लेकर भी शक गहराता जा रहा है।

पुलिस ने शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, बाल कल्याण समिति और जिला प्रशासन को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। इसमें मदरसे के बैंक खातों, यूपी बोर्ड और मदरसा बोर्ड से संबंधित दस्तावेजों की जांच कराने की सिफारिश की गई है। जांच के दौरान कुछ ऐसे दस्तावेज भी बरामद हुए हैं जो संदिग्ध फंडिंग की ओर संकेत करते हैं।

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पुलिस के मुताबिक, मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात के एक ही परिसर में मदरसा बोर्ड और यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त एक से बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित कई राज्यों से आई छात्राएं यहां रहकर पढ़ाई करती हैं। जांच में पता चला कि हॉस्टल और कक्षा दोनों जगह सुरक्षा और निगरानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

शुक्रवार को पुलिस ने करीब दो घंटे तक मदरसे की छानबीन की थी। शनिवार को टीम फिर पहुंची और दस्तावेज खंगाले। इसी दौरान पुलिस को ऐसे कागजात मिले जिनसे विदेशी फंडिंग की संभावना जताई जा रही है। अधिकारी अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि किस देश से और कितनी राशि मदरसे में पहुंची।

एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और संबंधित विभागों से सहयोग मांगा गया है। एडमिशन सेल प्रभारी मो. शाहजहां को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा गया है, जबकि प्रधानाचार्य रहनुमा और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

चंडीगढ़ निवासी छात्रा के पिता की तहरीर के अनुसार, उनकी बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ती थी और इस साल आठवीं में दाखिला होना था। प्रधानाचार्य रहनुमा और एडमिशन प्रभारी शाहजहां ने 35 हजार रुपये जमा कराने के बाद मेडिकल रिपोर्ट यानी वर्जिनिटी सर्टिफिकेट की मांग की। प्रमाणपत्र न देने पर अभद्रता कर मां-बेटी को बाहर निकाल दिया गया।

पुलिस जांच में एक टीसी फार्म भी मिला है जिस पर छात्रा ने पूरी घटना विस्तार से लिखी थी। सोशल मीडिया पर वायरल इस फार्म ने पुलिस केस को और मजबूत कर दिया है। छात्रा ने इसमें मदरसे के स्टाफ पर दुर्व्यवहार और अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया है।

शनिवार दोपहर एसडीएम सदर डॉ. राममोहन मीना, संभल के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी दिलीप कुमार और जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र कुमार पांडेय की टीम ने मदरसे पहुंचकर दस्तावेजों की जांच की। प्रधानाचार्य रहनुमा अवकाश पर बताई गईं जबकि अधिकांश स्टाफ अनुपस्थित था। टीम ने यूपी बोर्ड और मदरसा बोर्ड की मान्यता से जुड़े दस्तावेजों की भी पड़ताल की। अधिकारियों ने बताया कि जांच अभी अधूरी है और सोमवार को दोबारा टीम मदरसे जाएगी।

जिला प्रशासन ने शासन को प्रारंभिक रिपोर्ट भेज दी है जिसमें अब तक की जांच और पुलिस कार्रवाई का ब्यौरा शामिल है। एसडीएम मीना के अनुसार, दस्तावेजों की समीक्षा के बाद विस्तृत रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी।

इस पूरे प्रकरण पर सियासत भी गर्म हो गई है। सपा सांसद रुचिवीरा ने कहा कि वह इस मामले पर पुलिस अधिकारियों से मुलाकात करेंगी और मांग करेंगी कि निष्पक्ष जांच हो तथा निर्दोष व्यक्तियों पर कार्रवाई न की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं अक्सर ध्यान भटकाने के लिए सामने लाई जाती हैं।

वहीं, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के महामंत्री जोगेंद्र पाल सिंह ने कहा कि छात्रा से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगना बेहद शर्मनाक, अमानवीय और दंडनीय कृत्य है। उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं शिक्षा जगत के लिए कलंक हैं और बेटियों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती हैं।

मुस्लिम संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि यह हरकत पूरे मदरसा समाज के लिए शर्मनाक है और इससे संस्थाओं की साख पर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि मदरसे हमेशा संदेह के घेरे में रहते हैं, ऐसे में शिक्षकों की नियुक्ति में सावधानी बरती जानी चाहिए।

राहे सुलूक के अध्यक्ष मौलाना मुजाहिद हुसैन निजामी ने कहा कि एक शिक्षक की गलत हरकत से पूरी बिरादरी बदनाम हो जाती है। मदरसों में बड़े सुधार की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

जमात रजा-ए-मुस्तफा के महासचिव फरमान हसन खान ने कहा कि इस तरह की हरकतें सरकार के नारी सशक्तिकरण अभियान को कमजोर करती हैं। मदरसे धार्मिक शिक्षा के साथ सामाजिक और नैतिक मूल्यों के भी केंद्र हैं, लेकिन ऐसे कार्यों से उनकी गरिमा धूमिल होती है।

आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान ने कहा कि जो लोग धार्मिक संस्थानों में महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं, वे समाज के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा, “जब लड़कियां चांद पर पहुंच रही हैं, तब भी कुछ लोग उन्हें गुलाम समझते हैं। ऐसे मौलाना अपनी मानसिकता दिखाते हैं और समाज की बेटियों को असुरक्षित महसूस कराते हैं।”

जांच एजेंसियां अब मदरसे की फंडिंग और प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति तक हर पहलू खंगाल रही हैं। पुलिस का कहना है कि सभी बैंक खातों की ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगा कि विदेशी धन कहां से और किस उद्देश्य से आया। जिला प्रशासन ने इस पूरे प्रकरण को शासन स्तर पर गंभीरता से लिए जाने की पुष्टि की है।

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