“कांग्रेस का ‘कीचड़ स्नान’: जब नेता हो गए जनता से दूर”

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Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान प्रयास कर रहा है कि वह विश्व समुदाय से सहानुभूति हासिल करे और भारत की छवि को धूमिल करे, पर आर्थिक मदद की मांग उसके डर का प्रतीक बनी हुई है। भारत सरकार ने इसके जवाब में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विदेश भेजा, जिनमें विपक्षी दलों के सांसदों ने ‘National Interest First’ की भावना से काम किया। संसद में गुफ्तगू चलती थी, तो विदेश में नेताओं ने एक स्वर में भारत की स्थिति स्पष्ट की—भारत का राष्ट्रवाद, कूटनीतिक ताक़त और एकता उन्होंने प्रभावशाली तरीके से पेश की

शशि थरूर ने अमेरिका, यूरोप और इतर देशों में भारत का पक्ष रखा और अपनी कूटनीति कौशल से सर्वका ध्यान खींचा। कांग्रेस में इससे विरोध के स्वर उठे और कुछ ने उन पर ‘भाजपा का प्रवक्ता’ होने का आरोप लगाया, जबकि थरूर ने स्पष्ट कहा कि वे “देश की सेवा में कोई झिझक नहीं करेंगे” और राहुल गांधी के ‘मोदी सरेंडर’ वाले बयान का जवाब दिया—उन्हें बताया कि भारत ने किसी तीसरे पक्ष से मध्यस्थता नहीं माँगी और किसी के दबाव में नहीं झुका । उन्होंने कहा, “हम सीमा पार करते ही भारतीय बन जाते हैं” और विदेश में सभी राजनैतिक मतभेद गायब हो जाते हैं

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राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर ट्रंप के दबाव में ‘आत्मसमर्पण’ का आरोप लगाया, जिसे विदेशों में दुश्मन देश की भाषा जैसा बताया गया। भारत में कुछ नेताओं ने इसे राष्ट्र-विरोधी रवैया करार दिया, जबकि थरूर ने इसे अंतर पार्टी राजनीति कहा

इस बीच, असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान की गुमराहियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चुनौती दी और कहा, “नकल के लिए भी अकल चाहिए”—उनकी भाषा ने मुस्लिम नेतृत्व की कूटनीतिक सोच और राष्ट्रवाद को एक नई पहचान दी । डीएमके की कनिमोझी ने भाषा और एकता के मुद्दे पर स्पेन से भारत की विविधता को विश्व के सामने एक सकारात्मक दृष्टि से पेश किया—उनकी तीखी टिप्पणियाँ सोशल मीडिया और वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बनीं

प्रधानमंत्री मोदी ने इन प्रतिनिधिमंडलों की प्रतिनिधित्व क्षमता और एकजुटता की सराहना की है। कहा गया कि यह ‘Institutionalised Diplomacy’ की शुरुआत हो सकती है, जहाँ संसद में लोक और विदेश में शोध दोनों स्तर पर विपक्ष और सरकार साथ खड़े दिखे । असम विधानसभा और कई राज्यों में Operation Sindoor की सफलता पर Resolution पास हो चुके हैं—यह मिशन सिर्फ सैन्य सफलता नहीं, बल्क‍ि राजनयिक जिम्मेदारी में भी एक मील का पत्थर रहा है

इन प्रयासों ने साफ किया है कि अगली राजनीति मात्र घरेलू रैलियों या भाषणों में नहीं, बल्कि विदेशों में सक्रिय राजनय शास्त्र और राष्ट्रहित को दृढ़ता से पेश करने में निहित है। विपक्ष ने परंपरागत भूमिका को पीछे रखते हुए देश को एक नई राह दिखाई है जिसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँच रही है।

“शशि थरूर: कांग्रेस से बगावत, विदेश में देशभक्ति का नया चेहरा”

  • थरूर ने संगठन की सारी सीमाओं को पार कर, Operation Sindoor की ग्लोबल आउटरीच में भारत की उपस्थिति को दर्शाया—वीपी वांस, हाउस कमिटी जैसे कांफ्रेंस में उन्होंने भारत का पक्ष मजबूती से रखा

  • वहीं, कांग्रेस ने थरूर पर “बीजेपी का नया प्रवक्ता” होने के आरोप लगाए—असल में, ये आरोप स्वयं पर विश्वास की पराकाष्ठा दर्शाते हैं

    पाकिस्तान चला रहा भ्रम, भारत ने विपक्षी सांसदों के साथ दिया करारा जवाब”

    पाकिस्तान ‘सिंदूर ऑपरेशन’ के बाद विश्व समुदाय में भारत को नीचा दिखाने, भ्रम फैलाने और छवि धूमिल करने में जुटा हुआ है, लेकिन अपने डर और अस्मिता खोने के चलते वो कई देशों से आर्थिक मदद लोन मांग रहा है।

    इसी बीच, भारत सरकार ने जो रणनीति अपनाई—सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे, जहाँ विपक्षी सांसदों ने अपनी विदेश नीति क्षमता और राष्ट्रवाद का जबर्दस्त प्रदर्शन किया। संसद में झगड़ालू विहार करते मंदिर साधु जैसे इन नेताओं ने विदेश में एक स्वर, एक ध्येय से भारत की हीरोइज्म क्षमता को पेश कर वैश्विक मंच पर भारत की छवि को आकार दिया।

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