दमा और वात रोग के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार 

0
907

दमा और वात रोग का समाधान केवल औषधियों में नहीं, बल्कि जीवनशैली और मनोवृत्ति के संतुलन में निहित है।
अगर आप नियमित प्राणायाम, हल्का व्यायाम, सात्त्विक आहार और आयुर्वेदिक उपाय अपनाएँ, तो ये रोग स्थायी रूप से नियंत्रित किए जा सकते हैं।

🕉️ स्वस्थ श्वास और संतुलित वात का रहस्य प्राचीन आयुर्वेद में छिपा है

दमा (Asthma) और वात रोग (Vata Disorders) शरीर की त्रिदोष प्रणाली में असंतुलन का परिणाम हैं। आयुर्वेद के अनुसार जब वात दोष अत्यधिक बढ़ जाता है, तो वह श्वास नलिकाओं में अवरोध पैदा करता है जिससे श्वास-कष्ट (दमा) होता है।

Advertisment

आयुर्वेद में इन रोगों को नियंत्रित करने के लिए भोजन, आचरण, योग और औषधि का संयोजन सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

क्या करें (Do’s): दमे को नियंत्रित करने के उपाय

🌹 1️⃣ दमे का दौरा पड़ने पर उपाय:
जिस नथुने से श्वास चल रहा हो, उसी नथुने को तुरंत बंद करें और दूसरे नथुने से गहरी, नियंत्रित श्वास लें। इससे तुरंत राहत मिलती है और दौरे की तीव्रता कम होती है।

🌹 2️⃣ उबला हुआ पानी पियें:
हमेशा गुनगुना या उबला हुआ पानी पिएं। वातावरण को शुद्ध और हवादार रखें।
अनुकूलता के अनुसार हल्का व्यायाम, योगासन (विशेषतः भुजंगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन) तथा प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, भस्त्रिका) नियमित करें।

🌹 3️⃣ जप और ध्यान:
हरि ॐ शांति ॐ” मंत्र का नियमित जप करने से मन शांत रहता है, तनाव घटता है और श्वास प्रणाली पर नियंत्रण बढ़ता है।

🌹 4️⃣ आयुर्वेदिक औषधियाँ:

  • गोझरण अर्क और तुलसी अर्क का सेवन करें।

  • तुलसी के पत्ते नियमित रूप से चबाएँ।

  • प्राणदा टेबलेट (आयुर्वेदिक उत्पाद) भी लाभकारी है।

क्या न करें (Don’ts): दमे में परहेज़

🌹 1️⃣ खानपान में सावधानी रखें:
शीतल पदार्थ, बर्फ, ठंडे पेय, खटाई, मिठाई, तले-भुने या कफवर्धक पदार्थ (जैसे दही, चावल) से परहेज़ करें।

🌹 2️⃣ अधिक परिश्रम और थकावट से बचें:
अत्यधिक व्यायाम, धूल-धुआँ, प्रदूषण, अथवा शुष्क वातावरण से दूरी रखें।
शौच या मूत्र को कभी न रोकें — इससे वात और कफ दोष दोनों बढ़ते हैं।

🌹 3️⃣ हवा और ए.सी. से दूरी:
सीधे पंखे या एअर-कंडीशनर की ठंडी हवा में सोना दमा के लिए हानिकारक है। गर्म व आरामदायक वातावरण में रहें।

🌹 4️⃣ नशे और रासायनिक पदार्थों से बचें:
शराब, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, परफ्यूम, डियोड्रेंट आदि से परहेज़ करें — ये श्वास नलिकाओं को उत्तेजित करते हैं।

🌼 वात रोग का घरेलू उपचार (Home Remedy for Vata Disorders)

🌹 रात्रि में एक छोटी कटोरी में निम्न मिश्रण भिगो दें —

  • मेथी दाना – 1 चम्मच

  • अजवाइन – 1 चम्मच

  • साबुत काली मिर्च – 2 दाने

इतना पानी डालें कि सभी सामग्री बस भीग जाए।
सुबह खाली पेट इन्हें चबा कर खा लें और ऊपर से वही पानी पी लें।

➡️ इस प्रयोग को 40 दिनों तक करें।
वात रोग (जोड़ों का दर्द, गैस, गठिया, स्नायु विकार) में चमत्कारिक लाभ मिलेगा।

🌺 योग और आयुर्वेद का संयुक्त प्रभाव

चरक संहिता और अष्टांग हृदयम् के अनुसार:

“वातः सर्वशरीरगः, प्राणानामुपकारकः।”
अर्थात् — वात सम्पूर्ण शरीर में प्राण का संचार करता है, किन्तु इसका असंतुलन ही रोग का मूल कारण है।

इसलिए योग, ध्यान, नियमित दिनचर्या, और आयुर्वेदिक आहार — ये सभी मिलकर शरीर में वात और कफ दोष को नियंत्रित रखते हैं।

#हैशटैग्स:
#दमा_उपचार, #वात_रोग, #आयुर्वेदिकउपचार, #प्राणायाम, #योगिकउपचार, #श्वासरोग, #तुलसीकेलाभ, #गोझरणअर्क, #प्राणिकउपचार, #AyurvedaHealing, #NaturalCure, #HealthyLife

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here