लखनऊ एयरपोर्ट पर सुरक्षा चौकी में होमगार्ड की फांसी से मौत

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 सिस्टम पर उठे गंभीर सवाल

लखनऊ, 02 अक्टूबर (एजेंसियां)। राजधानी लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जहां हर दिन हजारों लोग सफर करते हैं और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्ती की बातें होती हैं, वहां गुरुवार सुबह एक ऐसी घटना हुई जिसने न सिर्फ सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी बल्कि पूरे तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। एयरपोर्ट परिसर की सुरक्षा चौकी के भीतर तैनात एक होमगार्ड जवान ने संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। मृतक की पहचान विक्रम सिंह के रूप में हुई है, जो मूल रूप से इटावा जिले के करई गांव, थाना चौबिया के रहने वाले थे और वर्तमान में पत्नी के साथ लखनऊ में किराए के मकान में रह रहे थे।लखनऊ एयरपोर्ट जैसी संवेदनशील जगह पर होमगार्ड की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे सुरक्षा ढांचे की खामियों का संकेत है। इस घटना से स्पष्ट है कि जवानों को केवल हथियार और जिम्मेदारी देना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति का ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है। विक्रम सिंह का यह बलिदान कहीं न कहीं तंत्र की असफलता की ओर इशारा करता है।

घटना की शुरुआत और सनसनीखेज खुलासा

बुधवार रात लगभग नौ बजे विक्रम सिंह हमेशा की तरह ड्यूटी पर पहुंचे थे। वे एटीसी उपकरण सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते थे, जो एयरपोर्ट संचालन की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण विभाग है। गुरुवार सुबह जब उनके साथी होमगार्ड धर्मपाल ड्यूटी पर पहुंचे, तो उन्होंने चौकी का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद पाया। बार-बार आवाज लगाने पर भी अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। शंका होने पर धर्मपाल ने चौकी की बाउंड्रीवॉल से झांक कर देखा तो विक्रम सिंह का शव टीन शेड की पाइप से लटकती रस्सी पर झूल रहा था। यह दृश्य देख उनके होश उड़ गए और उन्होंने तुरंत अधिकारियों और पुलिस को सूचना दी।

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कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंची। चौकी का दरवाजा तोड़कर शव को नीचे उतारा गया और पंचनामा भरने के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। एयरपोर्ट जैसी हाई सिक्योरिटी जगह पर इस तरह की घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया।

मृतक का पारिवारिक जीवन और निजी हालात

विक्रम सिंह अपनी पत्नी नेहा सिंह के साथ लखनऊ के सरोजिनी नगर थाना क्षेत्र के गौरी इलाके में किराए के मकान में रहते थे। परिवार में तनाव, आर्थिक समस्या या कार्यस्थल पर दबाव जैसी वजहें आत्महत्या के कारण हो सकती हैं, लेकिन अब तक इसका कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। पड़ोसियों और सहकर्मियों के अनुसार विक्रम का स्वभाव शांत था और वे अपने कर्तव्यों के प्रति हमेशा सजग रहते थे। उनकी अचानक मौत ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।

आत्महत्या की गुत्थी और जांच

पुलिस सूत्रों का कहना है कि आत्महत्या के कारणों का तत्काल पता नहीं चल सका है। यह भी संभव है कि विक्रम लंबे समय से मानसिक दबाव में रहे हों। वहीं, यह पहलू भी जांच का विषय है कि एयरपोर्ट जैसे संवेदनशील स्थल पर चौकी के भीतर ऐसा कदम उठाने के पीछे क्या परिस्थितियां थीं। पुलिस ने मोबाइल फोन, ड्यूटी से जुड़ी डायरी और अन्य सामान जब्त कर जांच शुरू कर दी है।

होमगार्ड कमांडेंट अमरेश सिंह ने कहा कि मामले की गहन जांच कराई जाएगी। साथ ही मृतक के परिवार को आश्रित नियमावली के तहत नौकरी और पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मृतक के परिवार को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

सुरक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल

इस घटना ने एयरपोर्ट की सुरक्षा प्रणाली और तैनात कर्मियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति दोनों पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सुरक्षा चौकी के भीतर, जहां सामान्य परिस्थितियों में हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है, वहां एक जवान का इस तरह जीवन खत्म करना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। सवाल यह भी है कि क्या जवानों पर इतना मानसिक दबाव डाला जाता है कि वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाएं।

लखनऊ एयरपोर्ट पर पहले भी सुरक्षा चूक के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया कि केवल तकनीकी सुरक्षा उपायों से ही नहीं, बल्कि कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर भी बराबर ध्यान देना आवश्यक है।

परिवार पर दुख का पहाड़

विक्रम सिंह की मौत से उनका परिवार बुरी तरह टूट गया है। पत्नी नेहा सिंह बेसुध हालत में हैं और उन्हें बार-बार यही सवाल परेशान कर रहा है कि आखिर उनके पति ने ऐसा कदम क्यों उठाया। परिवारजन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि घटना की पारदर्शी जांच हो और अगर कार्यस्थल का तनाव या उत्पीड़न इसके पीछे है, तो दोषियों को सख्त सजा दी जाए।

प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी

विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा बलों और पुलिस-होमगार्ड जवानों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसका कारण लंबे कार्य घंटे, मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और सुविधाओं की कमी हो सकता है। इस घटना को केवल एक आत्महत्या कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह समय है जब सरकार और प्रशासन को गंभीरता से यह सोचना होगा कि आखिर क्यों वर्दीधारी लगातार आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं।

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