“चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत – विपक्ष के झूठ पर करारा तमाचा!”

0
345

विकास पर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब, विपक्ष के भ्रामक दावों की खुली पोल

भारत जापान से आगे निकला, अब तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य

नई दिल्ली, 25 मई (एजेंसियां)। विकास दर को लेकर लगातार भ्रम फैलाने वाले विपक्ष को करारा जवाब देते हुए भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह आंकड़ा किसी आंतरिक दावे पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जारी प्रमाणित डेटा पर आधारित है।

4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था

सुब्रमण्यम ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था अब 4 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुकी है। भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है और अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही हमसे आगे हैं। यदि देश मौजूदा विकास मार्ग पर चलता रहा, तो अगले 2.5 से 3 वर्षों में भारत तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा

Advertisment

📣 विपक्ष के झूठे आरोपों की पोल खुली

विकास दर पर सवाल उठाकर देश की जनता को गुमराह करने वाले राजनीतिक दलों को इस रिपोर्ट ने कठघरे में खड़ा कर दिया है। बार-बार यह कहा गया कि देश की अर्थव्यवस्था “डूब रही है” या “विकास रुक गया है”, लेकिन IMF जैसे वैश्विक संस्थान की पुष्टि के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि भारत न केवल उठ खड़ा हुआ है, बल्कि दौड़ने भी लगा है।

📊 जनसांख्यिकीय लाभांश और नीतिगत नेतृत्व की भूमिका

सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि भारत को अगले 20–25 वर्षों तक जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने राज्यों से ‘विकसित भारत’ का विजन डॉक्युमेंट तैयार करने का आग्रह किया है, जो आगे की दिशा तय करेगा।

🙌 ‘तेज कदम, बड़ी छलांग’

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि भारत ने विकास की दिशा में एक “तेज कदम और बड़ी छलांग” लगाई है। उन्होंने कहा, “यह सब प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और निर्णायक नीतियों का नतीजा है। विपक्ष को अब आत्मचिंतन करना चाहिए, क्योंकि भारत की जनता ने वास्तविक विकास को अपनी आंखों से देख लिया है।”


🔚 निष्कर्ष:

भारत की यह उपलब्धि सिर्फ आर्थिक आंकड़ा नहीं, बल्कि झूठे आरोपों, दुष्प्रचार और निराशावाद के विरुद्ध एक ठोस सबूत है। देश अब आत्मविश्वास और उद्देश्य के साथ विकसित राष्ट्र की दिशा में बढ़ रहा है।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here