रावण के पुतले के साथ पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों के चित्र भी जलाए गए
लखनऊ, 2 अक्टूबर। देशभर में मंगलवार को दशहरे के अवसर पर रावण दहन का आयोजन किया गया। राजधानी लखनऊ के जानकीपुरम क्षेत्र में भी इस पर्व को उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। इस बार जानकीपुरम के सेक्टर जी स्थित महाकालेश्वर मंदिर पार्क में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम विशेष चर्चा का विषय बन गया।
इस कार्यक्रम की सबसे अनोखी बात यह रही कि यहां रावण के पुतले के साथ पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों के चित्र भी लगाए गए और उन्हें रावण के साथ ही अग्नि के हवाले कर दिया गया। उपस्थित लोगों ने इस अनोखे आयोजन को न केवल देखा बल्कि जोश और गर्व से भारत माता की जय और जय श्रीराम के गगनभेदी नारे भी लगाए।
आयोजन में उमड़ा उत्साह
रावण दहन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, महिलाएं, युवा और बच्चे शामिल हुए। माहौल पूरी तरह देशभक्ति और धार्मिक रंग में रंगा रहा। बच्चों ने आतिशबाजियों का आनंद लिया और बुजुर्गों ने इस कार्यक्रम को सामाजिक एकता का प्रतीक बताया।
इस कार्यक्रम की अगुवाई दिनेश जी ने की। उन्होंने बताया कि इस बार रावण दहन में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के चित्र जलाने का फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि हाल ही में संपन्न एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट में पाकिस्तान टीम के रवैये से भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की भावनाएं आहत हुई हैं।
आयोजक का बयान
दिनेश जी ने कहा—
“पाकिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के असंवेदनशील व्यवहार और उनके पूर्व कप्तान द्वारा ट्रॉफी लेकर भाग जाने जैसी शर्मनाक हरकत ने पूरे देश को निराश और आक्रोशित किया है। यह केवल खेल भावना का अपमान नहीं बल्कि भारत के करोड़ों प्रशंसकों की भावनाओं से खिलवाड़ है। इसी विरोध के प्रतीक स्वरूप हमने रावण के साथ उनके चित्रों का दहन किया है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का आयोजन केवल एक विरोध नहीं बल्कि युवाओं और आने वाली पीढ़ी को यह संदेश देने का प्रयास है कि बुराई चाहे किसी भी रूप में हो, उसका अंत निश्चित है।
नारों से गूंजा माहौल
जैसे ही पुतले को आग लगाई गई, पूरे मैदान में “भारत माता की जय”, “जय श्रीराम” और “वंदे मातरम” के उद्घोष गूंज उठे। स्थानीय लोगों ने कहा कि इस बार का दशहरा उनके लिए खास रहा क्योंकि रावण दहन के साथ उन्होंने पाकिस्तान की टीम के अहंकार और खेल भावना की कमी के खिलाफ भी अपना विरोध जताया।
लोगों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने कहा कि इस आयोजन ने दशहरे के पारंपरिक संदेश “सत्य की असत्य पर विजय” को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत किया है। एक स्थानीय युवा ने कहा कि खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए, लेकिन जब उसमें राजनीति या अभद्रता आ जाए तो समाज का आक्रोश स्वाभाविक है।
महिलाओं और बुजुर्गों ने भी इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी और उन्हें यह समझ आएगा कि खेल केवल जीतने या हारने का माध्यम नहीं बल्कि आपसी सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक होता है।
सांस्कृतिक महत्व और राष्ट्रीय भावनाएं
दशहरा पर्व हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश लेकर आता है। इस बार जानकीपुरम में आयोजित कार्यक्रम ने इसे एक नया आयाम दिया। धार्मिक आस्था और राष्ट्रीय गर्व का संगम देखने को मिला।
इस आयोजन से स्पष्ट संदेश गया कि भारतीय समाज अन्याय और असंवेदनशीलता को बर्दाश्त नहीं करता। चाहे वह पौराणिक रावण हो या वर्तमान समय की कोई और बुराई, समाज एकजुट होकर उसका विरोध करने में सक्षम है।
जानकीपुरम के महाकालेश्वर मंदिर पार्क में आयोजित इस अनोखे रावण दहन ने स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया। लोग इसे केवल एक सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और जनभावनाओं की अभिव्यक्ति मान रहे हैं।
दशहरा पर्व की तरह ही इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि अहंकार और असत्य का अंत निश्चित है, और सत्य, धर्म व देशभक्ति की ही सदैव विजय होती है।










