“स्वस्तिक से करें वास्तु दोषों का निवारण और पाएं सुख-समृद्धि”

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हिंदू धर्म में स्वास्तिक को अत्यंत पवित्र और शुभ चिन्ह माना गया है। वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में इसका विशेष महत्व है। स्वास्तिक घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। स्वास्तिक का यह उपाय धार्मिक होने के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह न केवल एक प्रतीकात्मक चिह्न है, बल्कि यह ऊर्जा का केंद्र भी बनता है, जो घर को संतुलित और संरक्षित करता है। यदि आप भी अपने घर को वास्तु दोषों से मुक्त करना चाहते हैं और सुख-समृद्धि पाना चाहते हैं, तो मंगलवार और शनिवार को स्वास्तिक बनाना अवश्य शुरू करें।


🏠 स्वास्तिक से दूर करें वास्तु दोष

यदि आपके घर में वास्तु दोष है, तो मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना अत्यंत लाभकारी होता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन स्वास्तिक बनाना अत्यधिक शुभ फलदायी माना जाता है। इन दोनों दिनों का संबंध मंगल और शनि ग्रह से होता है, जो क्रमशः शक्ति और न्याय के प्रतीक हैं।

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✍️ स्वास्तिक बनाने की विधि

  1. साफ-सफाई: मुख्य द्वार को अच्छी तरह से साफ करें और शुद्ध जल से पोछा लगाएं।

  2. सामग्री: हल्दी, रोली, कुमकुम या चंदन का उपयोग करें।

  3. मंत्र जाप: स्वास्तिक बनाते समय ‘ॐ श्री गणेशाय नमः’ या ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।

  4. ‘शुभ’ और ‘लाभ’: स्वास्तिक के चारों ओर ‘शुभ’ और ‘लाभ’ लिखें, जो सुख-समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करते हैं।

  5. अर्पण: चारों कोनों पर चावल और फूल अर्पित करें।


🌟 स्वास्तिक बनाने के लाभ

  • नकारात्मक ऊर्जा का निवारण: स्वास्तिक नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है।

  • धन और समृद्धि: घर में धन का प्रवाह अच्छा बना रहता है और व्यापार व नौकरी में उन्नति होती है।

  • मानसिक शांति: मानसिक तनाव दूर होता है और घर के सदस्यों के बीच प्रेम बना रहता है।

  • ग्रह दोषों का शमन: यदि किसी की कुंडली में शनि या मंगल दोष है, तो यह उपाय उन दोषों को शांत करने में सहायता करता है।


⚠️ ध्यान देने योग्य बातें

  • सामग्री का चयन: स्वास्तिक बनाने के लिए लाल रंग के कुमकुम, हल्दी अथवा अष्टगंध, सिंदूर का प्रयोग करें।

  • स्थान का चयन: स्वास्तिक को अशुद्ध या गंदे स्थान पर न बनाएं। शौचालय की दीवार या गंदे स्थान पर स्वास्तिक बनाने से बचें।

  • प्रत्येक मंगलवार और शनिवार: नियमित रूप से इन दिनों स्वास्तिक बनाना शुभ माना जाता है।

गहराई से जानना चाहते हैं, तो………………………………

स्वास्तिक चिन्ह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में भी अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना जाता है। यदि आप इसके बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना उपयोगी होगा:


🌟 स्वास्तिक के आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक अर्थ

  • चार भुजाओं का महत्व: स्वास्तिक की चार भुजाएं चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद), चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग), चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास) और चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) का प्रतिनिधित्व करती हैं।

  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी का प्रतीक: स्वास्तिक को भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, जो समृद्धि और सौभाग्य का संकेत देता है।


🏠 वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक का महत्व

  • मुख्य द्वार पर स्वास्तिक: घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

  • सही दिशा में निर्माण: स्वास्तिक को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या उत्तर दिशा में बनाना शुभ माना जाता है।

  • सामग्री का चयन: स्वास्तिक बनाने के लिए हल्दी, सिंदूर, कुमकुम या चंदन का उपयोग करना शुभ होता है।


🧘‍♂️ स्वास्तिक के लाभ

  • धन और समृद्धि: तिजोरी या अलमारी पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से धन में वृद्धि होती है।

  • स्वास्थ्य और मानसिक शांति: यदि किसी व्यक्ति को बुरे सपने आते हैं या मानसिक तनाव होता है, तो सोने से पहले तर्जनी उंगली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना लाभकारी होता है।

  • वास्तु दोष निवारण: स्वास्तिक का चिन्ह घर में मौजूद वास्तु दोषों को दूर करने में सहायक होता है।


⚠️ स्वास्तिक बनाते समय सावधानियां

  • शुद्ध स्थान का चयन: स्वास्तिक का चिन्ह केवल शुद्ध और पवित्र स्थानों पर ही बनाना चाहिए। शौचालय या गंदे स्थानों पर इसका निर्माण वर्जित है।

  • दिशा का ध्यान: स्वास्तिक को दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) बनाना शुभ माना जाता है, जबकि वामावर्त (घड़ी की विपरीत दिशा में) स्वास्तिक को अशुभ माना जाता है।

स्वास्तिक चिन्ह के
निर्माण
स्वास्तिक चिन्ह का निर्माण और उपयोग भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। यदि आप स्वास्तिक चिन्ह के निर्माण और उपयोग से संबंधित विशेष जानकारी चाहते हैं, तो निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना उपयोगी होगा

🛕 स्वास्तिक चिन्ह का निर्माण: सही विधि

  1. दिशा का ध्यान: स्वास्तिक को हमेशा दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) बनाना चाहिए। वामावर्त (घड़ी की विपरीत दिशा में) स्वास्तिक को अशुभ माना जाता है।

  2. सामग्री का चयन: स्वास्तिक बनाने के लिए हल्दी, सिंदूर, कुमकुम, चंदन या गोबर का उपयोग करना शुभ होता है।

  3. प्रारूप: स्वास्तिक में दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो एक-दूसरे को काटती हैं, और उनके सिरों पर आगे की ओर मुड़ी हुई रेखाएं होती हैं। इसके चारों भुजाओं के बीच में एक-एक बिंदु रखना भी शुभ माना जाता है।


🏠 स्वास्तिक चिन्ह का उपयोग: स्थान और लाभ

  1. मुख्य द्वार पर: घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

  2. तिजोरी या अलमारी पर: तिजोरी या अलमारी पर लाल या पीले रंग का स्वास्तिक बनाना धन में वृद्धि और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

  3. पूजा स्थल पर: पूजा स्थल पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

  4. आंगन या देहरी पर: आंगन के बीचों-बीच या घर की देहरी पर स्वास्तिक बनाना घर की नकारात्मकता को दूर करता है और सुख-शांति लाता है।


⚠️ सावधानियां

  • शुद्धता: स्वास्तिक का चिन्ह केवल शुद्ध और पवित्र स्थानों पर ही बनाना चाहिए।

  • दिशा का पालन: स्वास्तिक को हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में बनाएं।

  • सामग्री का चयन: स्वास्तिक बनाने के लिए शुभ सामग्री जैसे हल्दी, सिंदूर, कुमकुम, चंदन या गोबर का उपयोग करें।

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