सिडनी, 25 अक्टूबर (एजेंसियां)। जिन दो क्रिकेटरों पर आलोचनाओं की झड़ी लगी हुई थी, उन्हीं दो दिग्गजों ने टीम इंडिया की लाज रखी। कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली की दमदार पारियों की बदौलत भारत ने तीसरे वन-डे में ऑस्ट्रेलिया को नौ विकेट से हराकर सीरीज का समापन सम्मानजनक तरीके से किया। हालांकि तीन मैचों की यह सीरीज 2-1 से ऑस्ट्रेलिया ने अपने नाम की, लेकिन भारतीय टीम की जीत ने मनोबल ऊंचा कर दिया।
भारत के लिए यह मुकाबला बेहद अहम था क्योंकि शुरुआती दो मैचों में बल्लेबाजों का प्रदर्शन कमजोर रहा था। मगर सिडनी के मैदान पर कहानी पूरी तरह बदल गई। कप्तान रोहित शर्मा ने शानदार 121 रनों की नाबाद पारी खेली, जबकि कोहली ने 74 रन बनाकर टीम को आसान जीत की राह पर पहुंचाया। दोनों के बीच 168 रनों की साझेदारी ने न केवल मैच का रुख पलट दिया, बल्कि एक बार फिर इस जोड़ी की ताकत को दुनिया के सामने साबित कर दिया।
ऑस्ट्रेलिया की पारी – राणा की रफ्तार में ढह गया किला
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम की शुरुआत अच्छी रही, मगर भारतीय गेंदबाजों ने बीच ओवरों में दबाव बनाकर खेल पलट दिया। पूरी टीम 46.4 ओवर में 236 रन पर सिमट गई। मैट रेनशॉ ने 56 रनों की सबसे बड़ी पारी खेली, जबकि मिचेल मार्श (41) और मैथ्यू शॉर्ट (30) ने थोड़ी बहुत साझेदारी निभाई।
भारत के लिए युवा तेज गेंदबाज हर्षित राणा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार विकेट झटके। वहीं, वाशिंगटन सुंदर ने दो विकेट लिए और सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल को एक-एक सफलता मिली। गेंदबाजों की इस सामूहिक मेहनत ने ऑस्ट्रेलिया को बड़ा स्कोर बनाने से रोक दिया।
रोहित और गिल ने रखी नींव, कोहली ने दी मजबूती
लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने मजबूत शुरुआत की। रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने पहले विकेट के लिए 69 रन जोड़े। गिल 32 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह क्रिकेट प्रेमियों के लिए नजारा था।
रोहित और कोहली की जोड़ी ने पिच पर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को बेबस कर दिया। दोनों ने धैर्य, क्लास और स्ट्रोकप्ले का बेहतरीन मिश्रण दिखाया। रोहित ने अपनी 125 गेंदों की पारी में 13 चौके और 3 छक्के लगाए। वहीं कोहली ने 81 गेंदों में 7 चौकों के साथ नाबाद 74 रन बनाए।
रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड – कोहली ने फिर रचा इतिहास
यह मुकाबला विराट कोहली के लिए विशेष रहा। उन्होंने अपने वन-डे करियर का 75वां अर्धशतक सिर्फ 56 गेंदों में पूरा किया। इसी के साथ उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए सर्वाधिक बार 50+ स्कोर बनाने का सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कोहली ने अब तक 70 बार रन चेज़ में 50 से अधिक स्कोर किए हैं, जबकि सचिन का यह आंकड़ा 69 था।
कोहली ने इस मैच के साथ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2500 रन भी पूरे किए और ऐसा करने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बन गए। वहीं, रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया में अपना छठा शतक ठोका और सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले विदेशी बल्लेबाज बन गए। उन्होंने इस मामले में कुमार संगकारा और विराट कोहली दोनों को पीछे छोड़ दिया।
भारत के लिए ऐतिहासिक जोड़ी – कोहली और रोहित का कमाल
यह मुकाबला इस बात का भी गवाह बना कि भारतीय क्रिकेट में रोहित-विराट की जोड़ी क्यों “गोल्डन पार्टनरशिप” मानी जाती है। दोनों ने वन-डे क्रिकेट में अपनी 101वीं साझेदारी निभाई और इस दौरान 5300 से अधिक रन बना चुके हैं।
इन दोनों के बीच अब तक 19 शतकीय साझेदारियां और 18 अर्धशतकीय साझेदारियां हो चुकी हैं। इस जोड़ी ने अब तेंदुलकर-गांगुली के बाद भारत के लिए वन-डे में दूसरी सबसे सफल जोड़ी के रूप में अपनी जगह मजबूत कर ली है।
रोहित और कोहली के बीच यह 12वीं बार 150+ रनों की साझेदारी रही। यह आंकड़ा उन्हें तेंदुलकर-गांगुली की ऐतिहासिक जोड़ी के बराबर ला खड़ा करता है।
टीम इंडिया की वापसी – आत्मविश्वास से भरी जीत
हालांकि सीरीज ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से जीती, लेकिन भारतीय टीम का प्रदर्शन अंतिम मुकाबले में दमदार रहा। शुरुआती दो मैचों में हार के बाद भी टीम ने मजबूत वापसी की। गेंदबाजों की नियंत्रित लाइन और लेंथ, फील्डिंग में फुर्ती और बल्लेबाजों की संयमित रणनीति ने यह जीत आसान बना दी।
टीम प्रबंधन के लिए यह जीत आने वाले दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले आत्मविश्वास बढ़ाने वाली साबित होगी। हर्षित राणा जैसे युवा खिलाड़ियों का प्रदर्शन भारतीय बेंच स्ट्रेंथ की मजबूती का संकेत देता है।
कोहली के शब्दों में – “शांति से जीतने का मजा अलग है”
मैच के बाद कोहली ने कहा, “कभी-कभी शोर से दूर रहकर शांत जीत हासिल करना ज्यादा संतोष देता है। आलोचना खेल का हिस्सा है, लेकिन असली जवाब मैदान पर बल्ले से देना होता है।”
वहीं, कप्तान रोहित शर्मा ने कहा, “हम जानते थे कि हमें बस साझेदारी चाहिए थी। विकेट थोड़ी धीमी थी, इसलिए हमने धैर्य रखा और सही समय पर शॉट खेले।”
इस जीत ने यह साबित कर दिया कि भारतीय क्रिकेट में अनुभव और संयम का कोई विकल्प नहीं।










