चंडीगढ़, 3 जून — पंजाब विश्वविद्यालय के राजीव गांधी कॉलेज भवन में महर्षि नारद जयंती के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें संवाद, पत्रकारिता और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की महत्ता पर जोर दिया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. मनमोहन सिंह (पूर्व आईपीएस एवं अध्यक्ष, चंडीगढ़ साहित्य अकादमी) ने महर्षि नारद को ज्ञान और समृद्धि के देवता बताते हुए कहा,
“नारद मुनि तीनों लोकों में विचरण करने वाले ऐसे संवादकर्ता थे, जिनकी प्रासंगिकता आज की युद्धग्रस्त दुनिया में और भी अधिक बढ़ गई है।”
उन्होंने गुरु नानक देव जी की उदासियों का उदाहरण देते हुए संवाद को समस्याओं के समाधान का मार्ग बताया। साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में ‘आख्यान और विकल्प’ के विवेकपूर्ण चयन पर बल दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी ने महर्षि नारद को ब्रह्मांड का पहला पत्रकार कहा। उन्होंने कहा कि नारद मुनि ने संवाद और सूचना को सामाजिक समृद्धि के माध्यम के रूप में स्थापित किया।
उन्होंने ‘आइडिया ऑफ भारत’ पर प्रकाश डालते हुए कहा:
“भारत ने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया, हमारी संस्कृति संवाद और शांति पर आधारित रही है।”
उन्होंने हालिया G-20 शिखर सम्मेलन के सूत्रवाक्य “वसुधैव कुटुम्बकम” को भारतीय दृष्टिकोण की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण बताया।