चुनाव में गड़बड़ी सम्बन्धित आंकड़े लोकनीति-CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार द्वारा दिए गए थे। लेकिन मात्र 48 घंटों में यह पूरा दावा धराशायी हो गया और संजय कुमार को सार्वजनिक माफी माँगनी पड़ी। हम आपको बता दें कि 17 अगस्त को संजय कुमार ने नासिक वेस्ट और हिंगना के उदाहरण देते हुए कहा था कि वहाँ विधानसभा मतदाता संख्या लोकसभा के मुकाबले अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। नासिक वेस्ट में उन्होंने वृद्धि को 47% बताया था। हिंगना में उन्होंने वृद्धि को 43% बताया था। इन संख्याओं को कांग्रेस नेताओं और समर्थकों ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए तुरंत इस्तेमाल किया।
लेकिन 19 अगस्त को संजय कुमार ने अपनी पोस्ट डिलीट कर माफी माँगी। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी “डेटा टीम ने गलत पंक्तियाँ पढ़ लीं” और इसी कारण संख्याएँ बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत हो गईं। उन्होंने कहा कि उनका मकसद ग़लत सूचना फैलाना नहीं था। हम आपको बता दें कि आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक वास्तविकता में मतदाताओं की वृद्धि 3 से 6% के बीच थी जबकि उसमें 45% वृद्धि की बात फैलाई जा रही थी।
CSDS / संजय कुमार की गलती
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अगस्त 2025 में प्रो. संजय कुमार (Lokniti–CSDS) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़े आंकड़े X (Twitter) पर डाले।
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उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव (2024) और विधानसभा चुनाव (2024) के बीच वोटर संख्या में असामान्य वृद्धि हुई है।
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यह आंकड़े आधिकारिक चुनाव आयोग (ECI) के आँकड़ों से मेल नहीं खाते थे।
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बाद में उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि डेटा गलत था, और ट्वीट हटाकर माफी मांगी।
👉 यानी, यह घटना गलत डेटा इस्तेमाल करने की गलती (Error) थी, न कि चुनाव आयोग का आधिकारिक रिकॉर्ड।
2. विपक्ष और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
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जैसे ही यह डेटा सोशल मीडिया पर फैला, विपक्ष (विशेषकर कांग्रेस और राहुल गांधी) ने इसे आधार बनाकर केंद्र और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए।
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राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में धांधली / गड़बड़ी की है।
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परंतु जब स्पष्ट हो गया कि डेटा गलत स्रोत से लिया गया है, तो विपक्ष के आरोप तथ्यात्मक आधार पर कमजोर पड़ गए।
3. क्या विपक्ष के आरोप निराधार निकले?
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हाँ। चूँकि जिस आँकड़े पर आरोप टिका था, वही गलत साबित हुआ, इसलिए राहुल गांधी और विपक्ष की दलीलें निराधार (baseless) मानी गईं।
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चुनाव आयोग के आधिकारिक आँकड़ों में ऐसी कोई असामान्य वृद्धि नहीं थी।
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इस कारण विपक्ष की विश्वसनीयता को भी इस प्रकरण से धक्का लगा।
4. गलती या रणनीति?
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प्रो. संजय कुमार ने इसे मानवीय भूल (human error) कहा और माफी मांगी।
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लेकिन चूँकि उनका डेटा विपक्ष के नैरेटिव को मज़बूती दे रहा था, इसलिए कुछ लोग इसे “रणनीतिक रूप से ग़लत डेटा फैलाना” भी मान रहे हैं।
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अभी तक इसका कोई सबूत नहीं है कि यह सुनियोजित (planned strategy) थी।
👉 आधिकारिक रूप से इसे गलती (Error of judgement / data mix-up) ही माना गया है।
✅ निष्कर्ष:
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संजय कुमार की गलती → विपक्ष ने आरोप लगाया → आरोप आधारहीन निकले।
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यानी, राहुल गांधी और विपक्ष के बयान इस मामले में ग़लत साबित हुए और टिक नहीं पाए।










