स्टेडियम में मची भगदड़: 11 मौत, आईपीएल बना मातम – कौन जिम्मेदार?

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बेंगलुरु, 04 जून (एजेंसियां)।आईपीएल के एक रोमांचक सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की ऐतिहासिक जीत के बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम में जश्न का माहौल था। लेकिन यह जश्न कुछ ही पलों में मातम में बदल गया जब स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस दर्दनाक हादसे में 11 लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। सवाल उठता है कि इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या यह प्रशासन की लापरवाही थी, आयोजकों की चूक, या सुरक्षा प्रबंधों की कमी?


घटना का विवरण

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31 मई की रात, आरसीबी की आईपीएल जीत के बाद टीम की ओर से चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक भव्य विजय समारोह आयोजित किया गया था। यह समारोह न सिर्फ स्टेडियम के अंदर, बल्कि बाहर भी बड़ी स्क्रीन पर लाइव दिखाया जा रहा था, जिससे हजारों की संख्या में प्रशंसक एकत्र हो गए थे। भीड़ धीरे-धीरे बेकाबू हो गई, और स्टेडियम के गेट नंबर 3 के पास अचानक भगदड़ मच गई।

प्राथमिक रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भगदड़ तब शुरू हुई जब अफवाह फैली कि स्टेडियम के अंदर प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। हजारों लोगों ने एक साथ गेट की ओर दौड़ लगाई। अव्यवस्थित भीड़ के कारण कई लोग जमीन पर गिर पड़े और उन्हें कुचल दिया गया।


मृतकों की पहचान और पीड़ितों की स्थिति

हादसे में मारे गए 11 लोगों में से अधिकतर युवा प्रशंसक थे, जिनकी उम्र 15 से 30 वर्ष के बीच थी। इनमें 3 महिलाएं और एक 17 वर्षीय किशोर भी शामिल था। घायलों की संख्या 45 से अधिक है, जिनमें से 12 की हालत गंभीर बनी हुई है।

बेंगलुरु के विभिन्न अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है। सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और घायलों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने की घोषणा की है।


जिम्मेदारी तय करने की ज़रूरत

इस त्रासदी को सिर्फ “दुर्घटना” कहकर छोड़ देना न्याय नहीं होगा। निम्नलिखित पक्षों की भूमिका की गहन जांच जरूरी है:

1. स्टेडियम प्रशासन और आयोजक

  • आयोजकों को मालूम था कि आरसीबी की जीत के बाद भारी संख्या में प्रशंसक आएंगे।

  • सुरक्षा की कोई ठोस योजना नहीं थी। न ही भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम किए गए।

  • गेट के पास बैरिकेडिंग नहीं थी, जिससे लोग सीधे अंदर घुसने की कोशिश करने लगे।

  • पर्याप्त संख्या में पुलिस या वॉलंटियर तैनात नहीं किए गए।

2. स्थानीय पुलिस प्रशासन

  • पुलिस की ओर से भीड़ नियंत्रण के लिए कोई पूर्व योजना नहीं थी।

  • सीसीटीवी फुटेज में देखा गया है कि घटना के वक्त वहां तैनात पुलिसकर्मी पर्याप्त संख्या में नहीं थे।

  • हादसे के बाद भी राहत कार्य देर से शुरू हुआ, जिससे घायलों की हालत और बिगड़ी।

3. राज्य सरकार

  • इतने बड़े आयोजन के लिए सरकार से अनुमति ली गई थी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।

  • क्या सरकार ने आयोजकों को सुरक्षा मानकों का पालन करने का निर्देश दिया था?

  • अगर सरकार को आयोजन की जानकारी थी, तो सुरक्षा बंदोबस्त की निगरानी क्यों नहीं की गई?


साक्ष्यों और चश्मदीदों के बयान

एक चश्मदीद ने बताया, “हम टीवी पर आरसीबी की जीत देख रहे थे। जब सुना कि स्टेडियम में जश्न हो रहा है तो हम भी वहां पहुंच गए। अचानक किसी ने कहा कि अंदर जाने की अनुमति है और भीड़ एक साथ गेट की ओर दौड़ी। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। चीख-पुकार मच गई।”

एक घायल युवक ने कहा, “मेरे दोस्त की वहीं मौत हो गई। अगर समय रहते मेडिकल मदद मिलती तो शायद उसे बचाया जा सकता था।”


कड़ी कार्रवाई की मांग

जनता, विपक्षी दलों, और नागरिक संगठनों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी इस हादसे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से 7 दिन में रिपोर्ट मांगी है।

विपक्ष के नेता का कहना है, “यह सरकार और पुलिस की विफलता है। सिर्फ मुआवजा देकर सरकार अपने कर्तव्यों से नहीं बच सकती। जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए और आयोजकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए।”


हादसे से सबक और सुधार के सुझाव

इस हृदयविदारक हादसे से कई महत्वपूर्ण सबक लिए जा सकते हैं:

  1. सार्वजनिक आयोजनों के लिए SOP (Standard Operating Procedures) का कड़ाई से पालन हो।

  2. भीड़ नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक जैसे AI-बेस्ड कैमरे और इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल हो।

  3. प्रशिक्षित सुरक्षा बल और मेडिकल टीम हर आयोजन स्थल पर तैनात रहें।

  4. रियल टाइम भीड़ मैनेजमेंट डेटा प्रशासन के पास हो।

  5. लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य हो।


निष्कर्ष

चिन्नास्वामी स्टेडियम की यह घटना एक कड़वा सबक है कि जश्न के माहौल में भी सुरक्षा और व्यवस्था की अनदेखी नहीं की जा सकती। 11 लोगों की जान चली गई, कई परिवार उजड़ गए। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक व्यवस्थागत विफलता है। दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।

अब समय आ गया है कि आयोजनकर्ता, प्रशासन, और सरकार मिलकर यह सुनिश्चित करें कि किसी भी खेल या सांस्कृतिक कार्यक्रम में मानव जीवन की कीमत न चुकानी पड़े। यही इन मृतकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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