घोड़े की नाल के शक्तिशाली तांत्रिक प्रयोग, शनिदोष- भूत-प्रेत बाधा व लकवा के उपचार में उपयोगी

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घोड़े की नाल का प्रयोग कर आप जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पा सकते हैं। यह घोड़े पालने वालों से आसानी से मिल जाती है। घोड़ा पालने वाले उनके पैरों यानी खुरों में नीचे लोहे की नाल ठुकवा देते हैं। यह नाल अर्धचंद्राकार होती है और घोड़े के पैरों यानी खुरों को घिसने से बचाती है। जब कुछ महीने में यह घिस जाती है तो स्वयं निकल जाती है या घोड़े पालने वाले पुरानी नाल को निकलावकर नई नाल घोड़े के खुरों में डलवा देते हैं।

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यह पुरानी नाल यानी घोड़े के प्रयोग की गई नाल ही हमेशा तांत्रिक प्रयोग की दृष्टि से प्रभावशाली होती है। नई नाल का प्रयोग तांत्रिक दृष्टि से प्रभावहीन है, इसलिए घोड़े की प्रयोग नाल ही तांत्रिक प्रयोग के लिए उपयोगी सिद्ध होती है।

शनि दोष दूर करने के लिए घोड़े की नाल का प्रयोग

घोड़े की नाल से अंगूठी या छल्ला बनवा लें। नाल अगर काले घोड़े की होती है तो अधिक प्रभावी मानी जाती है। शनिवार के दिन इसे पहले थोड़े से कच्चे दूध से धोये और फिर पानी से धोकर पोंछ लें। फिर इसे अपने दाहिने हाथ की बीच वाली अंगुली यानी मध्यमा में पहन लें। इससे सभी प्रकार के ग्रह दोष विशेषकर शनिदोष दूर होने लगते हैं और सभी कार्यों में सफलता मिलने लगती है।

भूत-प्रेत बाधायें दूर करने के लिए घोड़े की नाल का प्रयोग

पहले काले घोड़े की नाल लाकर रख लें। फिर इसको शनिवार के दिन अपने घर के बाहर दरवाजे पर लटका देने या कील आदि के माध्यम से ठोंक देने से भूत-प्रेत सम्बन्धित बाधायें दूर होने लगती है और कार्यों में सफलता मिलने लगती है। जिस किसी व्यक्ति को कठोर परिश्रम करने के बाद में भी लाभ नहीं हो पाता है, वह यह प्रयोग करके लाभ उठायें।

लकवा के उपचार में घोड़े की नाल प्रभावी

रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो काले घोड़े की नाल से अंगूठी या कड़ा बनावाकर लकवे के रोगी को पहना दें। इससे उसके रोग में धीरे-धीरे आराम आने लगता है। उसे लकवे का दोबारा प्रकोप भी नहीं होता है। यह उपाय प्रभावी माना जाता है। ध्यान रहे कि नाल काले ही घोड़े की होनी चाहिए।

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