कितना समय शेष है कलयुग का अंत होने में

0
5144

नुष्य का एक मास, पितरों का एक दिन रात। मनुष्य का एक वर्ष देवता का एक दिन रात। मनुष्य के 30 वर्ष देवता का एक मास। मनुष्य के 360 वर्ष देवता का एक वर्ष (दिव्य वर्ष)। मनुष्य के 432000 वर्ष। देवताओं के 1200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलियुग। मनुष्य के 864000 वर्ष देवताओं के 2400 दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग।

मनुष्य के 1296000 वर्ष देवताओं के 3600 दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग। मनुष्य के 1728000 वर्ष अर्थात देवताओं के 4800 दिव्य वर्ष अर्थात एक सतयुग। इस सबका कुल योग मानव के 4320000 वर्ष अर्थात 12000 दिव्य वर्ष अर्थात एक महायुग या एक चतुर्युगी चक्र।

Advertisment

सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)

त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)

द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)

कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)

इस मान से कलियुग का काल 4,32,000 साल लंबा चलेगा। अभी कलियुग का प्रथम चरण ही चल रहा। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्‍पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2019= 5121 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426882 वर्ष अभी बाकी है। कलयुग के अंत में, जिस समय कल्कि अवतार अव‍तरित होंगे, उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी। जिस समय कल्कि अवतार आएंगे। चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बोने) के समान हो जाएंगे। गौएं भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी।

यह भी पढ़े- भगवती दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, जो देते हैं भक्ति-मुक्ति, ऐसे पहुचें दर्शन को

यह भी पढ़ें – वैैष्णो देवी दरबार की तीन पिंडियों का रहस्य

यह भी पढ़ें – जानिए, क्या है माता वैष्णवी की तीन पिण्डियों का स्वरूप

यह भी पढ़ें – जाने नवरात्रि की महिमा, सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं भगवती दुर्गा

यह भी पढ़ें – भगवती दुर्गा के 1०8 नामों का क्या आप जानते हैं अर्थ

यह भी पढ़ें – काशी विश्वनाथ की महिमा, यहां जीव के अंतकाल में भगवान शंकर तारक मंत्र का उपदेश करते हैं

यह भी पढ़ें –अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाता है महामृत्युंजय मंत्र

यह भी पढ़ें –संताप मिटते है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से

यह भी पढ़ें – शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही क्यों करनी चाहिए ? जाने, शास्त्र मत

यह भी पढ़ें – साधना में होने वाली अनुभूतियां, ईश्वरीय बीज को जगाने में न घबराये साधक 

यह भी पढ़ें – यहां हुंकार करते प्रकट हुए थे भोले शंकर, जानिए महाकाल की महिमा

यह भी पढ़ें – जानिए, रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here