प्रसिद्ध मंदिर: माता ब्रजेश्वरी देवी की महिमा है अपरम्पार

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गरकोट कांगड़ा वाली श्री माता ब्रजेश्वरी देवी की महिमा अनंत है।  
जनसाधारण में कांगड़े वाली देवी नाम से विख्यात बृजेश्वरी देवी का पवित्र मंदिर ज्वालामुखी से लगभग 30 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश के प्रमुख नगर कांगड़ा में है। देवी के स्थान पर पहुंचने के लिए सभी स्थानों से बस की सुविधाएं उपलब्ध है। 


पूर्व काल में सुशर्मा नामक एक राजा थे, उन्हीं के नाम पर सुशर्मानगर का नाम रखा गया, बाद में नगरकोट नाम से विख्यात हुआ – नगरकोट अर्थात नगर का किला। उसी नगरकोट का नाम बाद में चलकर कांगड़ा हुआ।  पौराणिक कथा के अनुसार महाबली एवं महापराक्रमी दैत्य जलंधर से देवताओं ने लगातार कई वर्षों तक युद्ध किया, लेकिन  देवता उसे परास्त न कर सके, तब भगवान शिव और श्री हरि नारायण की शरण में जाकर जलंधर की वीरता और उसके अत्याचार का वृतांत सुनाते हुए निवेदन किया- हे प्रभु! इस समय जलंधर अतिशक्तिशाली हो रहा है। हम सभी देवगढ़ उसे परास्त करने में असफल रहे तब भगवान शिव और श्री हरि ने कपटपूर्ण माया से जलंधर को मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया। तदुपरांत जलंधर की पति व्रता एवं साध्वी स्त्री वृंदा के शाप के भय से जलंधर के सम्मुख उपस्थित होकर उसे वर मांगने को कहा जालंधर ने दोनों देवताओं पर दृष्टि पात करने के पश्चात स्तुति करते हुए विनम्रतापूर्वक बोला- हे प्रभु! आप समस्त सृष्टि के पालनहार हैं तथा भगवान शिव को देखकर कहा- हे त्रिनेत्रधारी! यद्यपि  मैं असुर प्राकृति का प्राणी हूं। 

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मायावी विद्या का प्रयोग मुझे करना चाहिए था किंतु कपटी माया का विस्तार करके मुझे इस स्थिति में पहुंचाया फिर भी मुझे प्रसन्नता है।  प्रसन्नता इसलिए कि मुझे मारने के लिए स्वयं आपको उपस्थित होना पड़ा। आप के दर्शन मात्र से ही मुझ आसुरी प्रवृत्ति के जीव का उद्धार हो गया। अब आप मुझे वर देना चाहते हैं तो यह वर दे कि पंचभूतों से निर्मित मेरा यह शरीर जहां तक फैला उतने योजन में देवताओं एवं देवियों के तीर्थ स्थानों और भक्त जन मेरे शरीर पर स्थित तीर्थ में स्नान पूजा अर्चन करके पुण्य लाभ प्राप्त करें।  जलंधर को मनचाहा वर प्रदानकर दोनों देवता अंतर्ध्यान हो गए।  शिवालिक पहाड़ियों के बीच जलंधर दैत्य की पीठ का फैलाव 12 योजन क्षेत्र में है जहां 64 तीर्थ और मंदिर बने हुए हैं। ब्रजेश्वरी देवी के मंदिर में महावीर भैरव शिव की मूर्ति तथा अपना शीश काटकर ज्वाला जी को भेट करने वाले परम भक्त ध्यानू की प्रतिमाएं भी स्थापित है। 

 

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