कन्या राशि ( VIRGO ) की सामान्य विशेषताएं, स्वभाव व परिचय

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कन्या कालचक्र की छठी राशि है। यह राशि पृथ्वी तत्त्व , रजोगुण , द्विस्वभाव और बुध ग्रह से प्रभावित होती है। आपकी राशि का प्रतीक चिह्न कन्या है, जो कि यथार्थ कार्य से संबंधित है कन्या राशि वाले जातक का मध्यम कद , कोमल शरीर , सुन्दर व आकर्षक आँखें , लम्बी नाक , वाणी तेज़ व कुछ बारीक होगी। जातक प्रियभाषी , हर कार्य में सहायक , लज्जाशील प्रकृति , नर्म स्वभाव और नीति के अनुकूल काम करने वाला होगा। कल्पनाशील , सूक्ष्मदर्शी एवं संवेदनशील ( Sensi tive ) स्वभाव का होगा। शान्तचित एवं एकान्तप्रिय प्रवृत्ति होगी, लेकिन कठिन एवं विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने का सामर्थ्य होगा। एक है समय पर अनेक भाषाओं एवं विषयों में पारंगत होने की चेष्टा करेगा। संगीत कला एवं साहित्य में विशेष दिलचस्पी रखेगा। द्विस्वभाव और परिवर्तनशील प्रकृति होने के कारण एक विषय पर चिरकाल तक स्थिर नहीं हो पाता । बुध शुक्र का शुभ योग होने से लेखा, गणित , संगीत , कला अध्यापन , लेखन , क्रय – विक्रय , चित्रकारी , अभिनयकला में विशेष रूचि रहती है। बुद्धिमान , तीव्र स्मरणशक्ति और अध्ययनशील प्रकृत्ति होगी। भाग्योन्नतिकारक वर्ष 25 , 32 तथा 35 , 36 और 42 वें वर्ष होते हैं। कन्या जातक जन्मजात आलोचक होते है, इसलिए बहुत सोच समझकर अपने मित्रों का चुनाव करते हैं । उनका विश्लेषण स्पष्ट और निर्णय और राय वास्तविकता पर आधारित होता है । उनमें नए – नए विषयों का ज्ञान प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है । इस राशि के जातक में आश्चर्यजनक स्मरणशक्ति और प्रखर बुद्धि होती है, जो लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, उसे हर हालत में पूरा करके ही सन्तुष्ट होते हैं। कर्मठ होने के कारण वे बड़ी आयु तक भी युवा दिखाई देते हैं। इनके स्वभाव में एक विशेष बात पाई जाती है कि वे अपने निवास स्थान अथवा कार्य – व्यवसाय मे लगातार परिवर्तन करते रहते हैं। आपके प्रेम एवं सैक्स सम्बन्ध कैसे होंगे ? आप प्रेम के साथ उत्तरदायित्व को भावना रहती है । आप दूसरों को प्रसन्न करने में प्रसन्नता का अनुभव करते हैं । आप अपने से अधिक आयु की ओर आकर्षित होते हैं । आप त्याग के बदले त्याग चाहते हैं । आप उन्मुक्त प्रेम को पसन्द करते हैं। आपका कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों से मधुर प्रेम – संबंध रहता है। मेष , सिंह और धनु राशि वालों के साथ अच्छी निभती है ।

मिथुन , तुला एवं कुंभ राशि वालों से सदैव विरोध रहता है। वृष एवं मकर राशि वालों से सामान्य संबंध रहता है। आपका मस्तिष्क मौलिकता अर्थात् यथार्थपूर्ण कार्यों को करने में रुचि रखता है आप दिमागी कार्यों में विशेष सफल हो सकते हैं । आप इंजीनियर , व्यापारी , अध्यापक , दलाल , मनोवैज्ञानिक , लेखक , सम्पादक , गुन्शी , लिपिक , ज्योतिषी , गणितज्ञ , औषधि वेत्ता , रसायनज्ञ , संगठन कर्ता , डाक्टर , संवाददाता , पत्रकार , नेता प्रेस , प्रकाशक , कलाकार , कारीगर , पेन्टर , पंडित , कवि , कम्पोजिटर , सेल्समैन , वैद्य , लेक्चरर , पर्यटन विभाग , वकील , कपड़ा मिल , आदि कार्यों को करके सुख – समृद्धि संग जीवनयापन कर सकते हैं। अनियमित दिनचर्या व असमय भोजन के कारण आपको प्राय: स्वास्थ्य विकार होते हैं, पेट के रोग अधिक होते हैं। त्रिदोष, चर्म, कर्ण, नासिका, सेप्टिक, पीलिया, खुजली, बौद्धिक असंतुलन, मधुमेह, मंदाग्नि, वायुविकार, संग्रहणी, चेचक, जड़ता, वाणी सम्बन्धित रोग, कुष्ठ, दाद, पक्षाघात, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द आदि रोग अधिक होते हैं। आपको नियमित दिनचर्चा अपनानी चाहिए, इससे आपको तमाम रोगों से मुक्ति संभव है। नश्ो की लत से बचना जरूरी है।

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कन्या राशि के पुरुष

  • मित्रों का सहयोग पूर्णत : नहीं मिल पाएगा । परिवार का सुख मिलेगा , लेकिन उत्तरदायित्व आप पर अधिक रहेगा।
  • आप शौकीन और अपनी ही मौज – मस्ती के प्रेमी होते हैं। आपको स्मरण शक्ति और मानसिक दक्षता बहुत तीक्ष्ण एवं अद्भुत होती है। आप स्वभाव से डरपोक होते हैं।
  • आप सर्वगुण सम्पन्न कला हैं। आप स्वार्थ और भोग की प्रवृत्ति के कारण कार्यों अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
  • आप स्वभाव परिवार से मधुर और व्यवहार कुशल होते हैं। दूसरों से अपना काम निकालकर उन्हें महत्त्वहीन समझ बैठते हैं।
  • कोई आप मानसिक रूप से उन्नत तथा विपत्तियों में अविश्वासी से बुद्धि – चातुर्य से साफ बच निकलते हैं।
  • आपको फूहड़ता बिल्कुल पसन्द नहीं है।
  • आप शंकालू चाहती स्वभाव और विश्वास की कमी के कारण कई परेशानियां उठाते हैं।
  • आपका स्वभाव स्पष्ट न होकर रहस्यमयी होता है।
  • आप जीवन को| व्यवहारिकता में जीना चाहते हैं। आप जीवन में सभी प्रकार के अनुभवों को प्राप्त करना चाहते हैं।
  • एक स्थान पर टिके रहना आपको रुचिकर नहीं लगता होते है। सांसारिक एवं सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि हैं रखते हैं आप सदैव अध्यात्म की ओर अग्रसर होते हैं।
  • मनोनुकूल वातावरण बनाने में चतुर होते हैं।
  • सबसे सम्पर्क बढ़ाकर फिर सीमित कर लेने में सक्षम हैं।
  • दिखावे से घृणा करते हैं और प्रचार से दूर रहना ही पसन्द है।
  • मन में हीन भावना आती है,लेकिन कभी घमंड के कारण दूसरों में दोष ढूंढते हैं या आलोचना करने लगते हैं।
  • आप देखने में विनम्र , सौम्य एवं तेजस्वी होते हैं। किसी को परेशानी में देखकर चिन्तित हो उठते हैं।

कन्या राशि की स्त्री

  • आप विनयशील एवं व्यवहारकुशल होती हैं। घर में परतन्त्रता का वातावरण पसन्द नहीं करती हैं।
  • आपका स्वभाव सादा है। सभी प्रकार का सुख एवं सौभाग्य प्राप्त करती हैं।
  • आप सुन्दर , एकान्त प्रिय , सरल एवं कला – कौशल में निपुण होती हैं।
  • आप गोपनीयता में विश्वास रखती हैं। निरथर्क कार्यों में समय अधिक खर्च करती हैं। धैर्य का आडम्बर कुछ अधिक करती हैं। परिवार का उत्तरदायित्व अधिक होता है।
  • जीवन में सन्तुलन और व्यवस्था बनाए रखती हैं।
  • घर – बाहर सर्वत्र सम्मानित होती है।
  • आपका न कोई शत्रु है और न कोई मित्र। शत्रु हानि नहीं पहुंचाते और मित्र लाभ नहीं कराते। आप शंकालु एवं अविश्वासी प्रवृत्ति के कारण परेशान रहती हैं।
  • हीन भावना वश घमंडी बनकर दूसरों की आलोचना करने लगती हैं। आप जीवन को व्यवहारिकता के साथ जीना चाहती हैं। प्रायः अच्छी मित्र , पत्नी व् माता होती हैं।
  • आप कर्मठ , पाक और ललित कला में निपुण होती हैं। आपको फूहड़ता कतई पसन्द नहीं है।
  • आदत है कि दूसरों से काम निकालकर उन्हें महत्त्वहीन समझ बैठना।

उपाय – बुधवार का व्रत सदैव लाभकारी है और हरा चारा गऊशाला में दान शुभ नग – कन्या राशि वालों को पन्ना रत्न , सोने की अंगूठी दाएँ हाथ के कनिष्ठका अँगुली में बुधवार को बुध के बीजमन्त्र से अभिमन्त्रित करते हुए धारण करना चाहिए ।

बुध बीज मन्त्र- ” ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः “

शुभ वार – बुधवार , शनिवार , रविवार एवं शुक्रवार अति शुभ रहेंगे । शुभ रंग – हरा , नीला , श्वेत रंग और संगतरी रंग अति शुभ होगा ।

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