बढ़ते दलित और महिलाओं पर होने वाले जघन्य अपराधों पर कांग्रेस की नाराजगी

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लखनऊ 18 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में बढ़ते दलित एवं महिला उत्पीड़न खासतौर से बलात्कार, गैंगरेप और हत्या के मामले को लेकर अ0भा0 कांग्रेस कमेटी के अनु0जाति विभाग के चेयरमैन डाॅ0 नितिन राउत व कैबिनेट मंत्री महाराष्ट्र सरकार ने उ0प्र0 के महामहिम राज्यपाल को पत्र लिखकर उ0प्र0 में बढ़ते दलित और महिलाओं पर होने वाले जघन्य अपराधों पर नाराजगी व्यक्त की है। पत्र में उन्होने लिखा है कि विगत दो-तीन वर्षों में इन अपराधों में अचानक बाढ़ सी आयी है ऐसा लगता है कि दलित, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अपराध फासिस्टवादी भाजपा का सुनियोजित एजेण्डा है। पत्र में उन्होने हाथरस, बाराबंकी की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा है कि पिछले चार वर्षों में महिलाओं पर होने वाले अपराधों में 67 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एफआईआर तक दर्ज नहीं की रही हैं। रेप केसों की जांच और कोर्ट की प्रक्रिया बेहद धीमी है। उन्होने आगे लिखा है कि दलितों पर होने वाले हिंसा में अचानक से तेजी आयी है। जूते की माला पहनाना, नग्न परेड कराना, मैला उठाने के लिए दबाव डालना, शमशान घाट पर शवों को न जलने देना, सार्वजनिक स्थलों पर गाली-गलौच करना, दलित समाज के लेागों की जबरन जमीनों पर कब्जा करना आदि घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। देश भर में महिलाओं के प्रति होने वाले कुल अपराधों में अकेले उ0प्र0 मंे 15 प्रतिशत घटनाएं घट रही हैं औसतन 164 मामले रोजाना हो रहे हैं। हाथरस गैंगरेप के बाद उ0प्र0 में बलरामपुर, बुलन्दशहर, आजमगढ़ में रेप की घटनाएं देखने को मिली हैं जिसमें 8 वर्ष से लेकर 22 वर्ष तक की औरतों के साथ रेप हो रहे हैं। दलितों और महिलाओं पर होने वाले अपराधों में यह वृद्धि बताती है कि उ0प्र0 में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। उन्होने महामहिम जी से मांग की है कि उ0प्र0 में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। पत्र की प्रति संलग्न है।

डाॅ0 नितिन राउत ने महामहिम राज्यपाल को एक दूसरा पत्र लिखकर उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी अनुसूचित विभाग के चेयरमैन श्री आलोक प्रसाद को राजनैतिक द्वेष के चलते फर्जी मुकदमा लादकर जेल भेजने के सम्बन्ध मंे लिखा है कि श्री आलोक प्रसाद एक सम्मानित परिवार के सदस्य हैं वो पूर्व राज्यपाल स्व0 सुखदेव प्रसाद के पुत्र और वर्तमान में उ0प्र0 कांग्रेस के अनु0जाति विभाग के चेयरमैन हैं। जिस घटना में उन्हें फंसाया जा रहा है वह उस घटना के दिन सुबह से शाम तक लखनऊ में नहीं थे। उ0प्र0 सरकार कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने का प्रयास कर रही है। पत्र में उल्लेख करते हुए उन्होने लिखा है कि आलोक प्रसाद जी दिनांक 11 अक्टूबर को अपने आवास से प्रातः 10 बजे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे और उसके बाद कानपुर के घाटमपुर वि0स0 क्षेत्र के लिए चले गये और रात्रि लगभग 9.30बजे अपने आवास पर आ गये। अगले दिन 12 अक्टूबर को प्रदेश कार्यालय में पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संगठन पर चर्चा की। 13 अक्टूबर को कुछ कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस कार्यालय से ही बांगरमऊ वि0स0 क्षेत्र में प्रचार-प्रसार के लिए गये और पूरे दिन रहकर सभाएं कीं जिसकी फोटो कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड भी की गयी थी। उसी दिन लगभग 4बजे लखनऊ के लिए प्रस्थान किया और सायं 7 बजे आवास पहुंचकर विश्राम करने चले गये(इसी दिन दोपहर मंे आत्मदाह की घटना घटी) । उसी रात्रि में हजरतगंज पुलिस ने रात्रि में लगभग 1.30बजे बिना वारंट के गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार कर लिया जिसकी सीसीटीवी रिकार्डिंग पड़ोस के घर में लगे कैमरे में मौजूद है। उ0प्र0 की योगी आदित्यनाथ सरकार दलित विरोधी मानसिकता के चलते हर उस आवाज को दबाना चाहती है जो दलितों के ऊपर हुए जुल्म के खिलाफ उठती है। आलोक प्रसाद सदैव दलित समाज के बीच रहते हुए दलित समाज के हक और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं इसलिए उन्हें झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल में डालने का काम योगी सरकार ने किया है। उन्होने पत्र के माध्यम से महामहिम जी से मांग की है कि आलोक प्रसाद से राजनीतिक विद्वेष के चलते जो फर्जी मुकदमें दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया है उसको वापस लेकर उनकी रिहाई के निर्देश सरकार को निर्गत करने का कष्ट करें। पत्र की प्रति संलग्न है।

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