सरकार किसानों की तीन नये कृषि कानूनो को रद्द करने की मांग को हल नहीं करना चाहती: किसान संघर्ष समन्वय समिति

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नयी दिल्ली। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कृषि मंत्री का पत्र दिखाता है कि सरकार किसानों की तीन नये कृषि कानूनो को रद्द करने की मांग को हल नहीं करना चाहती। वही, मजदूर संगठन सेंटर फॉर ट्रेड यूनियन -सीटू ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने के लिए देशभर में 30 दिसंबर को धरना प्रदर्शन करने की घोषणा की है ।
समन्वय समिति ने यहां जारी बयान में कहा है कि कृषि मंत्री ने जानबूझकर वार्ता के दौरान के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर दावा किया है कि वह विनम्रता और खुले मन से चर्चा चाहते हैं। सच यह है कि एआईकेएससीसी ने तथा अन्य संगठनों ने सरकार को इन कानूनों को रद्द करने के लाखों पत्र भेजे हैं, जिसे सरकार ने अनसुना कर दिया है। नेताओं ने सर्वसम्मति से तीन दिसंबर को सरकार को यह समझा दिया कि अगर किसानों की जमीन व जीविका बचनी है तो ये तीनो कानून वापस होने होंगे। पर सरकार ने खुद-ब-खुद आठ मुद्दे छांट लिये और अब वह यह दावा कर रही है कि यही आठ मुद्दे मुख्य हैं।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि विश्व भर में कारपोरेट छोटे किसानों की खेती की जमीनें छीन रहे हैं और जल स्रातों पर कब्जा कर रहे हैं, ताकि वे इससे ऊर्जा क्षेत्र, रीयल स्टेट और व्यवसायों को बढ़ावा दे सकें। इसकी वजह से किसान विदेशी कम्पनियों और उनकी सेवा करने वाली सरकारों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। देश में चल रहे वर्तमान आन्दोलन को इसी वजह से दुनिया भर में समर्थन मिला है और 82 देशों में लोगों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किये हैं।
मुम्बई में आज एआईकेएससीसी बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अबानी और अडानी के मुख्यालय पर भारी विरोध प्रदर्शन किया। सभा को एआईकेएससीसी के महाराष्ट्र और पंजाब के किसान नेताओं ने संबोधित किया।

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