अगर कोई मनुष्य बुरा स्वप्न देख रहा है। यहां बुरे स्वप्न का अभिप्राय अशुभ स्वप्न से है। अशुभ स्वप्न दिखे और नींद टूट जाए तो भी व्यक्ति को पुन: सो जाना चाहिए। दोबारा नींद लेने के बाद उठकर उसे सपने के बारे में किसी को जरूर बता देना चाहिए या यूं कहें की अधिक से अधिक लोगों से इसकी चर्चा कर लेनी चाहिए। ऐसा करने से अशुभ स्वप्न या सपने का प्रभाव कम हो जाता है।
अगर उषाकाल में शुभ स्वप्न या सपना देखा जाए तो नींद से जाग जाना चाहिए। उसके बाद सोना नहीं चाहिए। इस तरह के शुभ स्वप्न की चर्चा भी किसी से नहीं करनी चाहिए। इसे गोपनीय रखना श्रेयस्कर होता है। ऐसा करने से अधिक से अधिक शुभता की प्राप्ति होती है। कई दृष्य ऐसे होते हैं,जो कि प्रत्यक्ष जीवन में अशुभ होते हैं, लेकिन ऐसे दृष्यों का सपनों में देखे जाना शुभ होता है। उदाहरण के तौर पर सपने में स्वयं को मरा हुआ देखे या मरे हुए परिवार जन को देखे या अपने शरीर में घाव या खून निकलता देखे तो यह स्वप्न शुभ हुए। इन्हें शुभ सपना ही मानना चाहिए।
इसी तरह से सपने में हंसना, नाचना, गाना आदि दृष्य देखना अशुभ माना जाता है। इन्हें अशुभ सपना ही मानना चाहिए। एक बात यह भी विचारणीय है कि एक ही सपना बार-बार दिखे तो उसके दोनों की तरह के शुभ-अशुभ फल प्राप्त होते हैं, लेकिन यह देखना आवश्यक है कि कोई वस्तु या घटना किस परिपेक्ष्य में देखी गई है, जैसे मृत्यु का देखना शुभ है, लेकिन मुर्दा यानी किसी अन्य की मृत्यु देखना शुभ नहीं है। सफेद पुष्प देखना शुभ है, लेकिन कपास के सफेद पुष्प शुभ नहीं हैं। कमल के पुष्प देखना तो शुभ है, लेकिन कमल के फूल लेना शुभ नहीं है।
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