देवी के 108 नामों का महत्व, भगवती दुर्गा की कृपा से मिलता है अतुल्य वैभव

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भगवती दुर्गा के 108 नामों की महिमा का बखान विभिन्न धर्म शास्त्रों में किया गया है। भगवान शंकर ने माता पार्वती से कहा है कि देवी के अष्टोत्तर शतनाम का वर्णन जो मैंने तुमसे किया है उसके प्रसाद यानी पाटिया श्रवण मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। भगवान शंकर माता पार्वती से आगे कहते हैं जो प्रतिदिन भगवती दुर्गा के अष्टोत्तर शतनाम का पाठ करता है उसके लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। वह धन,धान्य पुत्र, घोड़ा, हाथी, धर्म आदि चार पुरुषार्थ प्राप्त कर लेता है और अंततः सनातन मुक्ति को प्राप्त होता है। कुमारी का पूजन और देवी सुरेश्वरी का ध्यान करके परा भक्ति के साथ उनका पूजन करें फिर अष्टोत्तर शतनाम का पाठ आरंभ करें। भगवान शंकर जी माता पार्वती की से कहते हैं हे देवी जो ऐसा करता है उसे श्रेष्ठ देवताओं से भी सिद्धि प्राप्त होती है। राजा उसके दास हो जाते हैं।

वह राज्य लक्ष्मी को प्राप्त कर लेता है। गोरोचन, लाक्षा, कुमकुम, सिंदूर, कपूर, दूध या गाय का घी, चीनी और मधु इन वस्तुओं को एकत्र कर इनसे विधि पूर्वक यंत्र लिखकर जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यंत्र को सदा धारण करता है, वह शिव के तुल्य यानी मोक्ष रूप है हो जाता है।
सोमवती अमावस्या की आधी रात में जब चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हो उस समय इस शोध को लिखकर जो इस का पाठ करता है, वह संपत्ति साली होता है। भगवान शंकर ने माता आदिशक्ति दुर्गा के बारे में विस्तार से वर्णन किया है, इसका उल्लेख देवी पुराण,दुर्गा सप्तशती समेत ग्रंथों में मिलता है।

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माँ-दुर्गा-के-एक-सौ-आठ-नाम

सती

साध्वी

भवप्रीता

भबानी

भवमोचनी

आर्या

दुर्गा

जया

आद्या

त्रिनेत्रा

शूलधारिणी

पिनाक धारिणी

चित्रा

चण्डघण्टा

महातपाः

मनः

बुद्धिः

अहंकारा

चित्तरुपा

चिता

चिति

सर्बमन्त्रमयी

सत्ता

वैष्णवी

चामुण्डा

वाराही

लक्ष्मीः

पुरुषाकृतिः

विमला

उत्कर्षिणी

ज्ञाना

किया

नित्या

बुद्धिदा

बहुला

वहुलप्रेमा

सर्ववाहनवाहना

निशुम्भशुम्भहननी

महिषासुरमर्दिनी

मधुकैटभहन्त्री

चण्डमुण्डविनाशिनी

सर्बासुरविनाशा

सर्वदानवधातिनी

सर्वशास्त्रमयी

सत्या

सर्वास्त्रधारिणी

सत्यानन्दस्वरुपिणी

अनन्ता

भाविनी

भाव्या

भव्या

अभव्या

सदागति

शाम्भवी

देवमाता

चिन्ता

रत्नप्रिया

सर्वविद्या

दक्षकन्या

दक्षयज्ञविनाशिनी

अपर्णा

अनेकवर्णा

पाटला

पाटलावती

पट्ठाम्बरा

कलमञ्जीररञ्जिनी

अमेय विक्रमा

क्रुरा

सुन्दरी

सुरसुन्दरी

वनदुर्गा

मातङ्गी

मतङ्गमुनिपूजिता

अनेकशस्त्रहस्ता

अनेकास्त्रधारिणी

कुमारा

एककन्या

कशोरी

युवती

यति

अप्रौढ़ा

प्रौढ़ा

बुद्धमाता

बलप्रदा

महोदरी

मुक्तकेशी

घोररुपा

महाबला

अग्निज्वाला

रौद्र मुखी

कालरात्रि

तपस्विनी

नारायणी

भद्रकाली

बिष्णुमाया

जलोदरी

शिवदूती

कराली

अनन्ता

परमेश्वरी

ब्राह्री

महेश्वरी

एन्द्री

कौमारी

कात्यायनी

सावित्री

प्रत्यक्षा

ब्रह्रावादिनी

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