हंस देवी सरस्वती का वाहन है। विद्या की देवी माता सरस्वती का वाहन हंस अत्यन्त पवित्र पक्षी माना जाता है। हंस का दर्शन अति शुभदायक है। मंत्र शास्त्र में हंस की महिमा का गान किया गया है। सक्षिप्त में हंस में विषय में यह कहा जा सकता है कि हंस शुभदायक पक्षी है। शकुन की दृष्टि से इसे शुभ माना जाता है।
इसके दर्शन भाग्य से ही प्राप्त होते हैं। हंस को यदा-कदा ही देखा जाता है। हंस बफ जैसे सफेद रंग का पक्षी है। स्वच्छ सरोवर के जल में निवास करने वाला हंस अति सुंदर पक्षी है। प्रवास करते समय इसके बोलने के भिन्न- भिन्न फल प्राप्त होते हैं। जैसे एक बार बोले तो चोरी का भय, दो बार बोले तो धन की प्राप्ति, तीन बार बोले तो दुर्घटना का भय, चार बार बोले तो झगड़े की आशंका और पांच बार बोले तो राज्य में सम्मान प्राप्त होता है।
शकुन की दृष्टि से हंस के दर्शन के साथ-साथ आवाज को भी शुभ माना गया है। हंस के विषय में कहा गया है कि प्रवास करते समय अगर कोई हंस का नाम लेता है तो उसकी यात्रा निर्विघ्न रूप से सम्पन्न होती है। हंस के दर्शन चूंकि अति दुर्लभ होते हैं, लेकिन इससे प्राप्त होने वाले शकुन अति प्रभावी व प्रमाणिक माने जाते है।