कालिकादेवी पीठ: यहाँ भी गिरे माता के कुछ केश

0
858

kaalikaadevee peeth: yahaan bhee gire maata ke kuchh kesh कालिकादेवी – पीठ या कालीपीठ का मुख्य स्थान कोलकाता की कालीदेवी को माना जाता है, जिनकी गणना शक्तिपीठ में होती है, परंतु मतान्तर में कुछ केश यहां चंडीगढ़ के पास स्थित इस स्थान पर भी गिरे माने जाते हैं, अत : इसे भी मां काली की सिद्धपीठ का दर्जा प्राप्त है। माता के चमत्कारों के कारण इसकी मान्यता बहुत अधिक है। यह मंदिर कालिकाजी के नाम के नगर में स्थित है।

कालिका देवी पीठ की कथा 

प्राचीन काल में इस मंदिर में एक बार भगवती जागरण हो रहा था, जिसमें मां स्वयं सुंदर स्त्री के रूप में अन्य स्त्रियों के साथ कीर्तन कर रही थीं। महाराजा जयसिंह देव भी वहां थे और वे भगवती पर मोहित हो गए और उनसे विवाह प्रस्ताव रख दिया। इस पर भगवती ने क्रोधित होकर श्राप दे दिया कि तेरा पूरा सर्वनाश को जाए और वे अंतर्धान हो गईं। इसके पश्चात् मंदिर में गर्जन होने लगा, मंदिर पृथ्वी में धंसने लगा और मूर्ति भी पर्वत में प्रवेश करने लगी। मंदिर के पिछले भाग में रहने वाले महात्मा ने माता से विनती की और कहा माँ, क्षमा करो, तब मूर्ति पहाड़ के साथ उसी अवस्था में रह गई। आज भा देवी का केवल सिर ही दृष्टिगोचर होता है। तत्पश्चात् राजा व उसका पूरा राज्य नष्ट हो गया। वर्तमान कालिका नगर अनेक वर्षों के उपरांत बसा माना जाता है।

Advertisment

उत्तर भारत की नौ देवियां:: कालिकादेवी – पीठ का उल्लेख 

मंदिर एक पहाड़ की तलहटी में सड़क के किनारे अवस्थित है और दो मंजिला है। मंदिर के ऊपर तीन शिखर हैं, जिसमें मध्य का बड़ा और दोनों ओर दो छोटे शिखर हैं। नीचे की मंजिल में माता का मंदिर है और पिंडी के रूप में उनके दर्शन होते हैं, पर भक्तों ने मां काली की बड़ी तेजस्वी मूर्ति यहां पर स्थापित कर दी है।

यात्रा मार्ग

दिल्ली से सीधी रेल कालका स्टेशन तक जाती है। अन्य नगरों से भी रेलें कालिका स्टेशन तक जाती हैं। कालका स्टेशन इस कारण महत्त्वपूर्ण है कि यहां से नैरोगेज रेल शिमला तक जाती है। सड़क मार्ग से यह नगर चंडीगढ़ से मात्र 24 किलोमीटर दूर है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here