महालक्ष्मी सिद्धपीठ ( मुंबई ): मुंबा देवी को कमल पुष्प चढ़ाने का विशेष महत्व

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संवत् 1335 के पश्चात् संत ज्ञानेश्वर ने वहां वैष्णव धर्म का प्रचार – प्रसार किया। कालांतर में शक्ति उपासना का भी प्रचलन हुआ। महाराष्ट्र में शक्ति का लोकप्रिय नाम भवानी है। मुंबई में तीन प्रधान सिद्ध पीठ हैं – मुंबा देवी, कालबा देवी तथा महालक्ष्मी।

महालक्ष्मी सिद्धपीठ ( मुंबई ): धार्मिक पृष्ठभूमि

mahaalakshmee siddhapeeth ( mumbee ): mumba devee ko kamal pushp chadhaane ka vishesh mahatvसंत ज्ञानेश्वर ने ही अपने धर्म प्रचार के अंतर्गत इस मंदिर का निर्माण करा कर शक्ति की पूजा – अर्चना की प्रथा डाली थी, जो आज भी यथावत् जारी है।

महालक्ष्मी सिद्धपीठ ( मुंबई ) मंदिर विवरण : समुद्र तट पर काफी ऊंचाई पर यह मंदिर निर्मित है। मंदिर भव्य तथा संगमरमर का बना है और इसके ऊपर काफी बड़ा शिखर है। शिखर के नीचे लक्ष्मी मां की भव्य मूर्ति स्थापित है। इसके पीछे समुद्र दिखलाई पड़ता है। इस मंदिर में प्रसाद के साथ – साथ कमल पुष्प चढ़ाने का विशेष महत्त्व है। मंदिर के नीचे प्रसाद तथा अन्य भगवत सामग्रियों की अनेक सुसज्जित दुकानें हैं। मंदिर प्रात: 6 बजे खुलता है। प्रात: 6.30 बजे मंदिर आरती, शाम को 7.30 बजे संध्या आरती, रात्रि ९ बजे शयन आरती होती है। इसके उपरांत 9 बजकर 10 मिनट पर मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं।

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महालक्ष्मी सिद्धपीठ ( मुंबई ):यात्रा मार्ग

मुंबई के महालक्ष्मी इलाके में ही मंदिर स्थित है। यहां के स्टेशन का नाम भी महालक्ष्मी स्टेशन है। यात्री मुंबई पहुंचकर इसके दर्शन टैक्सी या बस द्वारा कर सकते हैं।

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