महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को लिखा था- योर फेथफुल सर्वेंट

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वीर सावरकर को अंग्रेजों का सर्वेंट बताने वाले राहुल गांधी के बयान के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने दो चिटि्ठयां सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं। दावा है कि ये चिटि्ठयां महात्मा गांधी ने अंग्रेज अफसरों लॉर्ड चेम्सफोर्ड और ड्यूक ऑफ कनॉट को भेजी थीं। इनमें से एक की आखिरी लाइन में लिखा है- योर एक्सिलेंस ओबीडिएंट सर्वेंट एमके गांधी। दूसरी चिट्‌ठी के आखिरी में लिखा है- योर रॉयल हाइनेस फेथफुल सर्वेंट एमके गांधी।

भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने गुरुवार को सावरकर पर निशान साधा। उन्होंने अकोला में मीडिया के सामने एक चिट्ठी दिखाई। राहुल का कहना है कि यह चिट्‌ठी सावरकर ने अंग्रेजों को लिखी थी। इसमें उन्होंने खुद को अंग्रेजों का नौकर बने रहने की बात कही थी। साथ ही डरकर माफी भी मांगी थी। गांधी-नेहरू ने ऐसा नहीं किया, इसलिए वे सालों तक जेल में रहे।

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सावरकर की चिट्ठी पर राहुल का पूरा बयान पढ़िए…
राहुल गांधी ने कहा, ‘ये देखिए मेरे लिए सबसे जरूरी डॉक्यूमेंट। ये सावरकर जी की चिट्ठी है। इसमें उन्होंने अंग्रेजों को लिखा है। मैं आपका सबसे ज्यादा ईमानदार नौकर बने रहना चाहता हूं। ये मैंने नहीं सावरकर जी ने लिखा है। फडणवीस जी देखना चाहते हैं तो देख लें। सावरकर जी ने अंग्रेजों की मदद की। सावरकर जी ने ये चिट्ठी साइन की।

गांधी, नेहरू और पटेल सालों जेल में रहे और कोई चिट्ठी नहीं साइन की। सावरकर जी ने इस कागज पर साइन किया, उसका कारण डर था। अगर डरते नहीं तो कभी साइन नहीं करते। सावरकर जी ने जब साइन किया तो हिंदुस्तान के गांधी, पटेल को धोखा दिया था। उन लोगों से भी कहा कि गांधी और पटेल भी साइन कर दें।’

फडवणीस ने कहा था- अपमान करने वालों को उचित जवाब देंगे
राहुल का बयान आने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राहुल बड़ी बेशर्मी से झूठ बोलते हैं। महाराष्ट्र के लोग सावरकर का अपमान करने वालों को उचित जवाब देंगे। राहुल गांधी वीर सावरकर के बारे में कुछ नहीं जानते, रोज झूठ बोलते हैं।

तप, त्याग और तितिक्षा (सहनशीलता) जैसे गौरवशाली भारतीय मूल्यों को मिट्टी में गूंथकर अगर एक प्रतिमा बनाई जाए तो उस प्रतिमा का नाम होगा ‘वीर विनायक दामोदर सावरकर’। मैं एक कवि हूं, इसलिए आज वीर सावरकर का परिचय उनकी कविताओं से देने का प्रलोभन मुझसे छोड़ा नहीं जा रहा। वीर सावरकर वो महापुरुष हैं जिन्होंने मां भारती की स्तुति में 6000 कविताएं लिखी हैं।

वीर सावरकर जब अंडमान की सेलुलर जेल में थे, तब यमुनाबाई ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभाली। यमुनाबाई का साहस तब देखने को मिला, जब महात्मा गांधी की हत्या के बाद भीड़ ने सावरकर को मारने के लिए उनके घर को घेर लिया। यमुनाबाई खुद लाठी लेकर भीड़ के सामने खड़ी हो गईं। सावरकर गांधी की हत्या में आरोपी थे जिन्हें बाद में आरोप मुक्त कर दिया गया।

राहुल जी, कल आपने मुझे एक पत्र की अंतिम पंक्तियाँ पढ़ने को कहा था, चलो, अब कुछ दस्तावेज़ आज मैं आपको पढ़ने देता हूँ। हम सब के आदरणीय महात्मा गांधी जी का यह पत्र आपने पढ़ा ? क्या वैसी ही अंतिम पंक्तियाँ इस में मौजुद है, जो आप मुझे पढ़वाना चाहते थे?——–देवेंद्र फडणवीस

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