वेद विचार
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सामवेद के एक मंत्र में परमात्मा ने मनुष्य को अंगिरस्तम् अर्थात् अतिशय तेजस्वी अंतरात्मन् कहकर संबोधित किया है। परमात्मा मनुष्य को जागरूक रहने की प्रेरणा करते हुए बुद्धि के तर्कों से असत्य के त्याग तथा सत्य को स्वीकार कर पवित्र बनने की प्रेरणा भी करते हैं। ऐसा करने से मनुष्य सबका प्रिय व ज्ञानी बनता है। मनुष्य प्रार्थना करता है कि परमात्मा उनके जीवन-यज्ञ को माधुर्य से सिंचित करें।
मंत्र का भाव है कि मनुष्यों को जागरूक, पवित्र, सबका प्रिय, ज्ञानी, तेजस्वी तथा मधुर व्यवहार करने वाला बनना चाहिए।
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-प्रस्तुतकर्त्ता मनमोहन आर्य