मूर्गा और सम्बन्धित शकुन-अपशकुन

0
7296

मूर्गा अक्सर अब ग्रामीण अंचल में ही देख्ो जाते हैं। शकुन की दृष्टि से भी मूर्गे का विश्ोष महत्व है। पूर्व काल में मूर्गें की बोली से आमजन समय का अनुमान लगाया करते थ्ो।

Advertisment

प्रात:काल मूर्गें का बोलना अत्यन्त शुभ माना जाता है। मूर्गों को पालने के लिए शहरी क्ष्ोत्रों में बड़े फार्म है, लेकिन यह बात स्पष्ट कर देना आवश्यक है, बंधक बने मूर्गें का शकुन अधिक प्रभावी नहीं माना जाता है। प्राकृतिक रूप से स्वतंत्र मूर्गें के शकुन को सही माना जाना चाहिए। बंधक बना मूर्गा अक्सर भयग्रस्त रहता है, इसलिए भी उससे प्राप्त शकुन प्रभावी नहीं होते हैं।
– कोई व्यक्ति यात्रा प जा रहा हो और उसकी दाहिनी ओर मूर्गा आता है या बोलता है तो उसके मनोरथ पूर्ण होते हैं। अगर उसकी आवाज में भय हो तो विपरीत फल प्राप्त होता है।
– गम्भीर स्वर में जब प्रात:काल मूर्गा बोलता है तो आने वाले समय में शुभ की सूचना देता है।
– अगर मूर्गा रास्ते में प्रत्येक प्रहर में बोलता हे तो अशुभ करता है।
– प्रात:काल मूर्गे का बोलना अत्यन्त शुभ होता है।
– यात्रा में प्रस्थान करने पर मूर्गा उंचे स्वर में बोलकर यात्रा के कारण में जय दिलाता है।
– मूर्गा का दाहिने तरफ बोलना विश्ोष शुभता प्रदान करता है।
– किसी कार्य की शुरुआत में मूर्गा दाहिनी तरफ दिख्ो या बोले तो अत्यन्त शुभप्रद जाने।
– रात्रि में भी मूर्गा का बोलना शुभ ही माना जाता है।
– मूर्गा दिन में लगातार या रुक-रुक कर बोले तो इसके स्वामी पर विपत्ति की सूचना देता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here