सिद्धपीठ मैहर देवी: शारदा मां का धाम

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siddhapeeth maihar devee: shaarada maan ka dhaamमध्य प्रदेश में मां मैहर देवी शारदा का पावन पीठ है। आद्या शक्ति मां दुर्गा के विभिन्न रूपों में मां शारदा भी हैं। बोलचाल की भाषा में इन्हें मइहर या मैहर का नाम दिया गया है और यही शारदा मां का धाम है। मध्य रेलवे के हावड़ा – मुंबई मुख्य मार्ग पर सतना – कटनी के बीच मैहर रेलवे स्टेशन है। यहां अनेक ट्रेनों का ठहराव भी है। सड़क मार्ग से यात्री जबलपुर, इलाहाबाद आदि नगरों से भी सीधे यहां पहुंच सकते हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसे शक्तिपीठ माना जाता है। यहां सती का दाहिना स्तन गिरा था। यहां शक्ति शिवानी व भैरव चंड हैं। इस पीठ को सिद्धपीठ की मान्यता संपूर्ण भारत में हैं। यहाँ ठहरने हेतु अच्छे होटल, लॉज आदि सतना नगर में ही हैं। मैहर से सतना की दूरी 30 किलोमीटर है।

मैहर देवी मंदिर का उल्लेख 

नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा नदी के तट पर त्रिकूट पर्वत मालाओं की गोलाकार पहाड़ी के मध्य 590 फीट की ऊंचाई पर मां शारदा का मंदिर अवस्थित है। स्वयं मां की प्रतिमा कितनी प्राचीन है, इसका ज्ञान नहीं है। मां के पार्श्व में प्राचीन नारसिंही देवी की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर पहुंचने हेतु लगभग 1000 सीढ़ियां हैं और धूप, बारिश से बचने हेतु रास्ते में टीन शेड्स लगे हैं। वर्तमान में पर्वत को गोलाई में काटकर सड़क निर्माण किया गया है, जो मुख्य मंदिर के नीचे तक जाती है|  इस सड़क मार्ग से चार पहिया वाहन सरलता से मुख्य मंदिर के पास तक पहुंच जाते हैं। इसके पश्चात् भी कुछ सीढ़ियां चढ़कर ही मंदिर तक पहुंचा जाता है।

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मैहर देवी मंदिर के अन्य दर्शनीय स्थल

  1. आल्हा – ऊदल का अखाड़ा : ये दोनों मां शारदा के अनन्य भक्त थे और मंदिर से दो किलोमीटर दूर इनका अखाड़ा आज भी अवस्थित है, जहां यात्री श्रद्धा से उन्हें याद करते हैं|
  2. पवित्र सरोवर : अखाड़े के पास ही एक बड़ा सरोवर या ताल अवस्थित है और कहा जाता है कि किसी भी ऋतु में इसके जल का स्तर घटता नहीं है। ऐसा माना जाता है कि आल्हा – ऊदल यहां स्नान करके रात्रि में प्रतिदिन शारदा मां को पुष्पांजलि देने आते हैं।

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