वेदादि ग्रंथों का स्वाध्याय करने वाला मनुष्य सुख की नींद सोता है,
वह युक्तमना होता है,
अपनी कायिक, मानसिक व
इतर सभी समस्याओं का परम चिकित्सक होता है,
स्वाध्याय से इन्द्रियों का संयम और एकाग्रता आती है और
प्रज्ञा की अभिवृद्धि होने से विद्या की प्राप्ति होती है।
-शतपथ ब्राह्मण के 11/5/7/1
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