उच्च रक्त चाप, जोड़ों के दर्द, चर्म रोग, कुष्ठ रोग, नासूर, घमोरियां, घाव या खूनी बबासीर का उपचार रुद्राक्ष से

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उच्च रक्त चाप, जोड़ों के दर्द, चर्म रोग, कुष्ठ रोग, नासूर, घमोरियां, घाव या खूनी बबासीर की समस्या से आप पीड़ित हैं तो रुद्राक्ष सम्बन्धित यह उपाय आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं। इनका प्रयोग कर के आप स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं।

उच्च रक्तचाप-
रुद्राक्ष की भस्म को स्वर्णभाक्षिक भस्म के साथ समान भाग में मिलाकर एक-एक रत्ती मात्रा मलाई में मिलाकर सुबह-शाम के समय सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है। मंत्रसिद्ध चैतन्यवान रुद्राक्ष की माला गले में डालने से भी रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
जोड़ों के दर्द-
पांच मुखी रुद्राक्ष को सिल से घिसकर बकरी के दूध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में जोड़ों के दर्द की पीड़ा और गठिया आराम मिलता है।

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चर्म रोग-
पांच मुखी रुद्राक्ष की भस्म और काली गाय के सूख्ो गोबर को गंगाजल में मिलाकर लेप करने से हर तरह का चर्म रोग दूर हो जाता है।
कुष्ठ रोग-
रुद्राक्ष और बाबची चार-चार भाग और हरताल एक भाग लेकर गोमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से सफेद कुष्ठ दूर होता है।

नासूर-
दो मुखी रुद्राक्ष को घिसकर लगाने से नासूर में लाभ होता है।
घमोरियां-
घमोरियां और मरोडियां होने पर रुद्राक्ष को पानी में घिसकर लेप करने से लाभ होता है।


घाव-
रुद्राक्ष को नीम की पत्तियों के साथ पानी में औटांकर छान लें। फिर इस पानी से घाव को धोयें। फिर रुद्राक्ष का महीन चूर्ण बनाकर घाव पर भुरके। इससे घाव जल्दी भर जाएगा।
खूनी बबासीर-
रुद्राक्ष एक भाग और अपामार्ग के बीज चार भाग का कल्क बनाकर सेवन करने से खूनी बबासीर दूर होती है।

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