बजरंगबली का व्रत, दूर होते हैं संकट

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भगवान राम के परमभक्त हनुमान जी अजेय है। उन्हें अष्टचिरंजीवियों में से एक माना जाता हैं। मंगलवार का व्रत करने से मनुष्य निर्भय हो कर विचरता है।

बजरंगबली की व्रत कथा इस प्रकार है- प्राचीनकाल में एक ऋषिनगर में केशवदत्त नाम के ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहते थे। वह बड़ा धर्मपालन करने वाले थे। केशव धनवान भी थे और सभी लोग उनका सम्मान करते थे, लेकिन दुख एकमात्र था कि उन्हें कोई संतान न थी। इस कारण केशवदत्त बहुत चितित रहते थे, पुत्र प्राप्ति की इच्छा से दोनों पति-पत्नी प्रत्येक मंगलवार को मंदिर जाकर हनुमान जी की पूजा करते थे। विधिविधान के अनुसार मंगलवार का व्रत करते हुए उनके कई वर्ष बीत गए, पर उन्हें संतान प्राप्त नहीं हुई। इससे केशवदत्त बहुत निराश हो गए लेकिन उन्होंने व्रत करना नहीं छोड़ा। कुछ दिनों बाद केशवदत्त पवन पुत्र हनुमान जी की सेवा करने के लिए अपना घर छोड़कर जंगल चले गये और उनकी पत्नी अंजलि घर में ही रहकर मंगलवार का व्रत करने लगी। इस तरह से दोनों पति-पत्नी पुत्र प्राप्ति की इच्छा से मंगलवार का व्रत करने लगे। एक दिन अंजलि ने मंगलवार का व्रत रखा, लेकिन किसी कारणवश उस दिन वह हनुमान जी को भोग नहीं लगा सकी और सूर्यास्त के बाद भूखी ही सो गई। तब उसने अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाए बिना भोजन तक नहीं करने का प्रण लिया। इस तरह से छह दिनों तक भूखी प्यासी रही। अगले मंगलवार को अंजलि ने हनुमान जी की विधिविधान से पूजा की, लेकिन तभी भूख-प्यास के कारण वह बेहोश हो गई।

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अंजली की इस भक्ति को देखकर हनुमान जी प्रसन्न हो गए और उसे स्वपÝ में दर्शन देते हुए कहा- उठो पुत्री मैं तुम्हारी पूजा से प्रसन्न हूं और तुम्हें सुंदर और सुयोग्य पुत्र होने का वर देता हूं। यह कहकर पवनपुत्र हनुमान जी अंतर्धान हो गए, तब तत्काल ही अंजलि ने उठकर हनुमान जी को भोग लगाया और स्वयं भी भोजन किया। हनुमान जी की अनुकंपा से कुछ ही महीनों बाद अंजलि ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। मंगलवार को जन्म लेने के कारण उस बच्चे का नाम मंगल प्रसाद रखा गया। कुछ दिनों बाद केशवदत्त भी घर लौट आये। उसने मंगल को देखा तो अंजलि से पूछा- यह सुंदर बालक किसका है अंजलि ने खुश होते हुए हनुमान जी के दर्शन देने और पुत्र प्राप्त होने का वरदान देने की सारी कथा सुना दी, लेकिन केशवदत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसके मन में कुविचार आ गया कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है और अपने पापों को छुपाने के लिए झूठ बोल रही है। केशव दत्त ने उस बच्चे को मार डालने की योजना बनाई। एक दिन वह स्वयं कुएं पर गया। मंगल भी उसके साथ गया, इस दौरान केशवदत्त ने मौका देखकर मंगल को कुएं में फेंक दिया और घर आकर बहाना बना दिया कि मंगल तो कुएं पर मेरे पास पहुंचा ही नहीं, केशव दत्त के इतना कहते ही मंगल दौड़ता हुआ घर लौट आया। हालांकि केशव मंगल को देखकर बुरी तरह से हैरान हो उठे।

उसी रात हनुमान जी ने केशव को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा कि तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर मैंने प्रदान किया है, फिर तुम अपनी पत्नी को उल्टा क्यों समझते हो, उसी समय केशव दत्त ने अंजलि को जगाकर उससे क्षमा मांगी। स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन देने की सारी कथा सुनाई। इसके बाद केशव दत्त ने अपने बेटे के हृदय से लगा लिया।

उस दिन के बाद से सभी आनंदपूर्वक रहने लगे लेेिकन मंगलवार को बजरंगबली का व्रत करना नहीं छोड़ा। जो भी मंगलवार के दिन व्रत रखते हैं और व्रत कथा सुनते हैं। हनुमान जी उनके सभी कष्टों को दूर करते है। रोगों को नष्ट करते है। उनके घर में धनधान्य की कमी नहीं रहती है।

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