गणेश जी को प्रसन्न करने के चमत्कारिक मंत्र

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भगवान गणेश जी के पिता भगवान शिव और माता पार्वती है। गौरी नंदन गणेश प्रथम पूज्य हैं और भक्त वत्सल है। वे प्रार्थना करने पर जल्द ही प्रसन्न भी हो जाते है। आइये जानते हैं, ऐसे गणेश जी को प्रसन्न करने के कुछ मंत्र, जो निश्चित ही आपकी भक्ति की राह में सहायक होंगे।

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श्री गणेश मंत्र
समस्त देवताओं में प्रथम पूज्य देव गणेश जी यानी गणपति हैं। गणपति का पूजन किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व करने का विधान है। गणेश जी की कृपा यदि प्राप्त हो जाती है तो भक्त के सभी कर्म निर्विघ्न रूप से सम्पन्न हो जाते हैं। गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र निम्न उल्लेख किया जा रहा है।
मंत्र है-
वक्रतुण्ड महाकाय
कोटि सूर्य सम्प्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु में देव
सर्वकार्येषु सर्वदा।।
अर्थ- टेढ़ी संड वाले, करोड़ों सूर्य के समान प्रकाश पुंज से अलौकिक देव गण्ोश जी हमारे सभी कार्यों को निर्विघ्न रूप से सम्पन्न करें।

श्री गणेश वंदना-
गजाननं भूतगणादि सेवितं,
कपिथ्य जम्बू फल चारु भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाश कारकं,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम।।

षडक्षर जप मंत्र-
निम्न उल्लेखित षडक्षर मंत्र का नित्य नियमपूर्वक जप करने से अतुल धन- सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। श्री गण्ोश जी कहते हैं कि यह मंत्र मुझे अत्यन्त प्रिय है।
मंत्र है-
ऊॅँ वक्र तुण्डाय हुम्।।
इस मंत्र का प्रत्येक दिवस ग्यारह माला जप करके जो मनुष्य घी मिलाकर आहुतियां देता है, उसे हमारी पूर्ण कृपा प्राप्त होगी। ऐसा हम नहीं कहते, बल्कि प्रथम पूज्य गण्ोश जी कहते हैं। जो मनुष्य नारियल में घी भरकर आहुति प्रदान करेगा, उसे मेरी कृपा से दरिद्रता से मुक्ति मिल जाएगी। साधक को अतुल्य धन-वैभव की प्राप्ति होगी।

नवाक्षर मंत्र-
नवाक्षर मंत्र का प्रतिदिन ग्यारह माला जप करें। नवाक्षर मंत्र की ग्यारह माला जप करने के बाद एक माला अर्थात 1०8 बार मंत्र जप करते हुए शुद्ध देसी घी और तिल से होम करें।

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इससे राज्य पद की प्राप्ति होती है। इसमें संदेह नहीं है। विघ्नहरण भगवान गण्ोश जी आपकी मनाकांक्षाएं आवश्य पूर्ण करेंगे।

माला जप करते समय तन, मान, वाणी की शुद्धता होनी अति आवश्यक है। मन को वश में रख्ो और उसे कदापि भटकने न दें। स्वयं को गण्ोश जी की अराधना में पूर्ण भक्तिभाव से डुबोये रहें।
मंत्र है-
ऊॅँ हस्ति पिशाचिलिखे स्वाहा।।
एक अन्रू अति प्रभावकारी श्री गण्ोश यानी गणपति जी का मंत्र है, जिसे बीज मंत्र कहा गया है। विद्बानों का कथन है कि इस प्रभावशाली मंत्र के जप करने से गणेश जी अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं।
मंत्र है-
ऊॅँ गणपतये नम:।।

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