जानिए, हनुमान जी के द्वादशनाम का माहात्म्य

9
4254
ऐसा करने से शीघ्र प्रसन्न होते हैं हनुमान जी, पूर्ण करते हैं मनोकामनाएं, दूर करते हैं संकट

भगवान श्री राम के परमभक्त हनुमान जी के द्वादशनाम की महिमा अनंत है। भोलेनाथ भगवान शिव के अंशावतार महावीर हनुमान की महिमा का जितना गान किया जाए, वह कम ही होगा। श्रीराम के नाम का गान करने वाले कपिवीर हनुमान के नामजप का प्रभाव भी अनंत है, यह भी सत्य है कि जो श्री राम का प्यारा होता है, वह हनुमान का भी प्यारा हो जाता है। महावीर हनुमान जी उसकी हमेशा मदद करते हैं। आनंद रामायण में महावीर हनुमान जी की महिमा का गान किया गया है। उनके उन 12 नामों का उल्लेख है, जो मनुष्य को सृष्टि के समस्त भयों से मुक्ति दिलाने वाले हैं। जानिए, हनुमान जी के द्वादशनाम का माहात्म्य।

 

Advertisment

आनंद रामायण में महावीर के इन नामों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि महान आत्मबल से सम्पन्न कपिराज समस्त भयों का नाश करने वाले हैं, जो मनुष्य आनंद रामायण में वर्णित इन नामों को सोते, जागते या यात्रा समय के पाठ करता है। उसे सभी प्रकार के भयों से मुक्ति व संग्राम में विजय प्राप्त होती है। राजद्बार में रहे या निर्जन वन में रहे, उसे किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है। कपिराज महावीर हनुमान के इन 12 नामों के प्रभाव से जीव से निर्भय होकर जगत में विचरता है और उसे सभी संग्रामों में उसे विजय प्राप्त होती है। जानिए, हनुमान जी के द्वादशनाम का माहात्म्य।

श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी के द्वादशनाम नाम इस प्रकार है-

 

हनुमान, अंजनीसूनु, वायुपुत्र, महाबल यानी महाबलवान, रामेष्ट यानी श्री राम के प्यारे हनुमान, फाल्गुन यानी अर्जुन के सहायक रूप में उनकी ध्वजा में निवास करने वाले, पिंगाक्ष यानी पीली आंखों वाले, अमित विक्रम यानी अनंत पराक्रम वाले, उदधिक्रमण यानी समुद्र लांधने वाले, सीता शोक विनाशक यानी भगवती माता सीता के शोकों का नाश करने वाले, लक्ष्मण प्राणदाता यानी लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी लाने वाले और रावणदर्पहारी यानी रावण के अभिमान को चूर करने वाले।

|| हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र ||

ॐ हनुमान् अंजनी सूनुर्वायुर्पुत्रो महाबलः।

श्रीरामेष्टः फाल्गुनसंखः पिंगाक्षोऽमित विक्रमः॥

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वाल्पकाले प्रबोधे च यात्राकाले य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।

राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

यह भी पढ़ें – जानिए, क्यों बाली ने राम नाम को लेकर तप किया और हनुमान के बल की महिमा

यह भी पढ़ें – वैदिक प्रसंग: इस मंत्र के जप से मिलती है भक्ति-मुक्ति

यह भी पढ़ें – काशी विश्वनाथ की महिमा, यहां जीव के अंतकाल में भगवान शंकर तारक मंत्र का उपदेश करते हैं

यह भी पढ़ें –अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाता है महामृत्युंजय मंत्र

यह भी पढ़ें –संताप मिटते है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से

यह भी पढ़ें – शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही क्यों करनी चाहिए ? जाने, शास्त्र मत

यह भी पढ़ें – साधना में होने वाली अनुभूतियां, ईश्वरीय बीज को जगाने में न घबराये साधक 

यह भी पढ़ें – यहां हुंकार करते प्रकट हुए थे भोले शंकर, जानिए महाकाल की महिमा

यह भी पढ़ें – जानिए, रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here