नवरात्रि में सिद्धि: शत्रु को दु:खी करने, नौकरी में उन्नति, भौतिक सुख दायक व संतान प्राप्ति के लिए साधना

0
1183

गवती दुर्गा के अनंत रूप हैं, अनंत नाम है, यह समस्त सृष्टि उनकी ही माया का विस्तार है। भगवती समस्त सृष्टि का संचालन करने वाली हैं, वह आदि शक्ति स्वरूपा है, उनकी आराधना से जीव की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जो पूर्ण मनोभाव व श्रद्धा से भगवती की आराधना करता है, उसके लिए सृष्टि में कुछ भी असाध्य और असंभव नहीं रहता है। विश्ोष तौर नवरात्रि के समय में भगवती की अराधना की जाए तो भक्त के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्रि का समय साधक को विश्ोष सतर्कता बरतते हुए साधना में संलग्न होना चाहिए। कुछ विश्ोष सतर्कता बरतनी चाहिए, तो मनोरथ पूर्ण होते हैं और परम पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

पूजन में बरते ये सावधानियां

Advertisment

1. एक व्यक्ति कई प्रयोग कर सकता है, लेकिन एक प्रयोग करने के बाद दूसरा प्रयोग करने से पूर्व हाथ मंंह पैर आदि को धोना आवश्यक है, यदि संभव हो तो स्नान करें।
2. साधना प्रयोग करने से पूर्व प्रत्येक बार (एक साधना प्रयोग पूरा करने के बाद जब दूसरा प्रयोग आरम्भ करें) हाथ मे जल लेकर अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, शहर, देश का नाम आदि उच्चारण करें। तत्पश्चात जल अपने ऊपर छिड़कें।
3. प्रयोग करने से पूर्व आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लें।
4. साधना प्रयोग के लिए कंबल अथवा कुशासन का उपयोग करें।
5. साधना काल में पवित्रता एवम ब्रह्मïचर्य का पालन करें।
6. नवरात्रि काल में बाल न कटवायें।

उक्त सावधानियों का पालन करते हुए साधना करने से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। कार्यसिद्घि के लिए नवरात्रि में किये जाने वाले ये सिद्घ प्रयोग जो प्राणियों की अभिलाषा पूर्ण कर परम सुख प्रदान करते है।

शत्रु को दु:खी करने के लिए साधना 

शत्रु को दु:खी करना हो तो निम्न मंत्र सिद्घ करें-

ऊँ चाण्डालिनी कामाख्यावासिनी शत्रु परस्पर विद्वेषणाय फट्टï।

 

नौकरी में उन्नति के लिए सिद्ध प्रयोग

आप नौकरी पेशा व्यक्ति हैं और आपकी उन्नति नहीं हो रही हो तो देव्यानुग्रह यंत्र नवरात्र में विधि पूर्वक स्थापित करके मूंगे की माला से मंत्र पाठ करें-

ऐं ह्रीं क्ली चामुण्डाये विच्चै

ऊँ ग्लौ हुं क्लीं जूँ स:

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल

प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्री क्लीं चामुण्डाये विच्चै

ज्वल हं सं लं क्षं फट्ट स्वाहा।

उपरोक्त मंत्र का पाठ करने मनोकामना पूर्ण होती है।

 

भौतिक सुख दायक प्रयोग

दुर्गा यंत्र स्थापित करके हकीक की माला से मंत्र जाप करें-

विदेहि देवि कल्याणं विदेहि परमा श्रियं।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥

 

संतान प्राप्ति के लिए साधना

संतान तीनों के लिए परम कल्याणकारी यह मंत्र उस औषधि के समान है जो मृत्यु को प्राप्त हो रहे प्राणी को पुनर्जीवित कर देती है।
संतान प्राप्ति हेतु संतान गोपाल यंत्र स्थापित करे पूजन करें फिर रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें। नवरात्र स्थापना दिवस से लगातार 45 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार मंत्र का पाठ करें। देवी प्रसन्न होकर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर तुम्हें धन्य करेगी।

सदवि नित्यं परतिप्यमान, व्यामेव सीतत्यभिभाषमा:।

ढृढ़व्रतौ राजसुतौ महात्मा, तवैव लाभायकृत प्रयत्न:।।

पूजा स्थल पर बाल गोपाल श्री कृष्ण का चित्र लगावें।

 

यह भी पढ़ें –पवित्र मन से करना चाहिए दुर्गा शप्तशती का पाठ

यह भी पढ़ें –नवदुर्गा के स्वरूप साधक के मन में करते हैं चेतना का संचार

यह भी पढ़ें –भगवती दुर्गा की उत्पत्ति की रहस्य कथा और नव दुर्गा के अनुपम स्वरूप

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here