वेद विचार
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ईश्वर के ध्यान में स्थित योगी की प्रेरक दस यम-नियम-भावनाएं, जब आत्मा को शुद्ध करती हैं, तब परमात्मा का पुत्र उन्नति के मार्ग में जाने वाला आत्मा क्रियाशील हो जाता है, और जैसे वेगवान घोड़ा लकड़ी से बने रथ को प्राप्त करता है, अर्थात् उसमें जुड़ता है, वैसे ही वह आत्मा क्रियाशील परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।
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ईश्वर की प्राप्ति यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) और नियम (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान) का पालन व आचरण किए बिना संभव नहीं है। अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए सब मनुष्यों को यम व नियमों का पालन करते हुए प्रतिदिन प्रातः व सायं हृदय में विद्यमान सर्वव्यापक ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। ऐसा किए बिना मनुष्य जन्म लेना सार्थक नहीं होता।
-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य