पितृपक्ष में कल्याण सिंह की सरकार बनने के बाद 15 साल भाजपा को वनवास मिला था,

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पितृपक्ष में कल्याण सिंह की सरकार बनने के बाद 15 साल भाजपा को वनवास मिला था,

आज फिर पितृपक्ष में शपथ ग्रहण हुआ,

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2022 की सत्ता को लेकर चिंता बढ़ी!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार का दूसरा विस्तार हो गया। इसी के साथ यह आशंका भी बढ़ गयी कि 2022 में भाजपा की सरकार लौटेगी भी या वनवास हो जायेगा। कल्याण जैसा दबदबे वाला विश्वसनीय हिंदुत्ववादी नेता पितृपक्ष में शपथ लिया था। दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाये। यही नहीं भाजपा को 15 वर्ष का वनवास काटना पड़ा था। 1997 में बसपा के साथ मायावती के नेतृत्व में भाजपा के सहयोग से सरकार बनी थी। करार के अनुसार 6 माह बाद भाजपा के नेतृत्व में सरकार बननी थी। कल्याण सिंह ने 21 सितंबर 1997 को शपथ ग्रहण किया था। 12 नवम्बर 1999 को उन्हें हटा दिया गया। उस समय भी पितृपक्ष था। शपथ ग्रहण वाले दिन पितृपक्ष की षष्टी थी। बीच कार्यकाल में उन्हें हटा दिया गया था। 12 नवम्बर 1999 को रामप्रकाश गुप्त भाजपा दूसरे मुख्यमंत्री बने। 346 दिन के कार्यकाल के बाद 28 अक्टूबर को उन्हें भी बिना कार्यकाल पूरा किये हटा दिया गया। 28 अक्टूबर 2000 को राजनाथ सिंह भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री बने। 8 मार्च 2002 तक इनका कार्यकाल रहा। इनके नेतृत्व में भाजपा चुनाव लड़ी लेकिन हार गयी। इसके बाद तीन विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार में आने के लिये 15 वर्ष तक झूलती रही। मुख्य विपक्षी दल की भी हैसियत छीन गयी थी। 2017 में यूपी में बिना चेहरा बताये भाजपा प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नाम पर पिछड़ा-पिछड़ा करके लड़ी। लेकिन जब 2017 में पार्टी को भारी बहुमत मिला तो पिछड़ा मुख्यमंत्री का ख्वाब दफन हो गया। योगी आदित्यनाथ की सरकार जाते-जाते 7 मंत्रियों को शपथ कराया। जिसमें एक ब्राह्मण, दो दलित, एक अनुसूचित जनजाति, दो पिछड़ों को मंत्री बनाया गया। 2022 में सरकार कैसे लौटेगी इसको लेकर भाजपा का खतरा बढ़ गया है।

इस संदर्भ में वरिष्ठ समाजवादी नेता पवन पांडेय ने कहा कि जिस तरह अखिलेश यादव स्थानीय क्षत्रपों को जोड़ कर भाजपा को जगह-जगह घेर रहे हैं उससे भाजपा की राह मुश्किल होती जा रही है। भाजपा में नेतृत्व द्वारा दल बदलुओं, धनपतियों को तरजीह देने से मूल कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ गया है। भारी संख्या में भाजपा के विधायक कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबको धर्म-कर्म और मुहूर्त का ज्ञान देने का ठेकेदारी करने वाली भाजपा खुद पितृपक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार करती है। कुम्भ को भुनाने वाले लोगों को जनता के सामने बताना पड़ेगा कि किन परिस्थितियों में पितृपक्ष में शपथ ग्रहण कार्यक्रम रखा।

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