यमुनोत्री धाम: सात कुल तक पवित्र हो जाते हैं

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यमुनोत्री धाम: सात कुल तक पवित्र हो जाते हैं

माधवी, ब्रह्मी, काम्या, निर्मला, मनोहरा, कल्याणी, प्रभा, अकुला, कंचनी, वृंदावनी, अरुणा, अराध्या, गोवर्धनी, नंदिनी, रागिनी, शिखा, आर्य, दिव्या, मंगला, जीवा, भानुजा, तनुजा, पावनी, सरिता, कामिनी, विभा आदि नाम

उत्तर भारतीय चार धामों की यात्रा में यमुनोत्री धाम प्रथम है और इसके पश्चात क्रमसः गंगोत्री, केदारनाथ और अंत में श्री बदरीनाथ की यात्रा की जाती है। यमुनोत्री को यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां ये नदी चंपासागर नाम के ग्लेशियर से उत्पन्न होती है जो कालिनंद नाम के पर्वत पर समुद्र तल से 4421 मीटर की  ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री का मंदिर समुद्रतल से 3185 मीटर की ऊंचाई पर कालिंद पर्वत की तलहटी में अवस्थित है।

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मृत्यु का भय दूर करती है मां

यमुना मां को कालिंदी भी कहा जाता है। वे मृत्यु के देवता यमराज के साथ साथ न्याय के देवता शनि की भी बहन हैं। ऐसे में मां यमुना के भक्त मानते हैं कि मां के दर्शन करने से मृत्यु का भय और पाप दोनों नष्ट हो जाते हैं।सूर्य की पुत्री, यमराज की बहन और श्रीकृष्ण की प्रियाओं में से एक, यमुना मां की महिमा अपरंपार है । मां यमुना जिस पर प्रसन्न हो जाए, उसकी अकाल मृत्यु टल जाती है। वो जन्म और जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है । यमुना मां की कृपा जिस पर हो जाए तो उसकी सात पीढ़ियां भी पापमुक्त हो जाती है। सच्चे मन से मां यमुना के दर्शन कर लेने भर से भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति होती है। यमुना जी को श्रीकृष्ण की प्रिया कहा जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में एक प्रिय पटरानी कालिंदी ही यमुना हैं। वहीं जब कृष्ण भगवान किशोर थे तो उन्होंने यमुना के तट पर ही गोपियों संग रास रचाया। मान्यता है कि श्रीकृष्ण लीलाओं में यमुना जी का भी विशेष स्थान था। ये मां यमुना की महिमा ही है कि भक्त दूर-दूर से उनके दर्शन करने पहुंचते हैं. यमुना पान और यमुना स्नान करते हैं। सच्चे मन से भक्ति और पूजा से माता शीघ्र प्रसन्न होती है।

तीर्थ का महत्त्व

सर्वलोकस्य जननी देवी त्वं पापनाशिनी। आवाहयामि यमुने त्वं श्रीकृष्ण भामिनी।।

तत्र स्नात्वा च पीत्वा च यमुना तत्र निस्रता सर्व पाप विनिर्मुक्तः पुनात्यासप्तमं कुलम |

अर्थात (जहाँ से यमुना (नदी) निकली है वहां स्नान करने और वहां का जल पीने से मनुष्य पापमुक्त होता है और उसके सात कुल तक पवित्र हो जाते हैं!)

देवी यमुना सूर्य भगवान की पुत्री हैं और यमराज की जुड़वां बहन हैं। इसमें स्नान करने से मानव को अमरत्व की प्राप्ति होती है। पश्चिम बंगाल में भाईदूज के पर्व पर बहन अपने भाई को टीका लगाते हुए एक श्लोक का उच्चारण करती है, जैसे यमुना का भाई यमराज अमर है, वैसे ही मेरा भाई अमर हो। मान्यता है कि भाई दूज के दिन यदि यमुना स्नान करें तो आयु लंबी होती है।

यमुनोत्री धाम पृष्ठभूमि

देवी यमुना का मंदिर टिहरी गढ़वाल के राजा प्रताप शाह ने सन् 1919 में देवी यमुना को समर्पित करते हुए बनवाया था। देवी यमुना की मूर्ति काले संगमरमर की बनी है। इस स्थल पर संत असित का आश्रम था और कहा जाता है कि उनके वृद्ध होने पर संत असित के स्थान हेतु गंगा नदी की एक धारा यमुना के दूसरी ओर अवतरित हुई थी।

मंदिर विवरण : मंदिर सुंदर, छोटा व नेपाल शैली में बना है और इसके ऊपर का शिखर ऊंचा और में टीन के द्वारा निर्मित हैं । टीन का प्रयोग इस कारण किया गया है कि  शरद काल में बर्फ गिरने पर मंदिर को छति नहीं पहुंचेगी क्योंकि टीन के ऊपर बर्फ पिघल कर नीचे गिर जाएगी। यह मंदिर अक्षय तृतीया के दिन खुलता है और दीपावली के दिन बंद हो जाता है। शरद काल में यमुना निकट के खरसाली ग्राम के एक मंदिर में निवास करती हैं ।

यमुनोत्री धाम: आसपास के दर्शनीय स्थल

  1. सूर्य कुंड : मंदिर के निकट अनेक झरनों से बना एक गर्म जलकुंड है, जिसका तापमान लगभग 200 सें . तक होता है और तीर्थयात्री इसमें चावल व आलू कपड़े में रखकर पका लेते हैं और प्रसाद के रूप में देवी यमुना को चढ़ाते हैं । यात्री साहस करके इसमें स्नान भी कर लेते हैं।
  2. जानकी चट्टी : यमुनोत्री से 6 किलोमीटर पहले यह ठहरने हेतु अच्छा स्थल है और यात्री यहां रुक कर गर्म जल के झरनों में स्नान कर तरोताजा हो जाते हैं और दूसरे दिन यमुनोत्री मंदिर की पैदल यात्रा हेतु निकल पड़ते हैं।
  3. बारकोट : लगभग समुद्र तल से 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बारकोट एक देवदारों व रोडोडेंड्रान वृक्षों से घिरा एक सुंदर स्थल है। रात्रि में जानकी चट्टी के अतिरिक्त यहां ठहरना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि यहां की व्यवस्थाएं ज्यादा अच्छी हैं और स्थान भी प्राकृतिक दृष्टि से सुषमामयी हैं।

यात्रा मार्ग व ठहरने के स्थान

कई वर्ष पहले इस स्थान की यात्रा पैदल ही की जाती थी, पर वर्तमान में जानकी चट्टी तक यात्री बस या टैक्सी से पहुंच जाते हैं। यहां से यमुनोत्री मात्र 6 किलोमीटर दूर है, जो घोड़े, पालकी या पिठू की सहायता से पूर्ण की जाती है। यमुनोत्री में ठहरने की उचित या अच्छी व्यवस्था नहीं है। अत : यात्री बारकोट या जानकी चट्टी में ही ठहरते हैं। यात्रा की दूरी का वर्णन ……

हरिद्वार से नरेंद्र नगर 40 किलोमीटर,  नरेंद्र नगर से चंबा 46 किलोमीटर,  चंबा से टेहरी 21 किलोमीटर,
 टेहरी से घरासू 37 किलोमीटर,,  घरासू से बारकोट 35 किलोमीटर,  बारकोट से स्याना च29ट्टी  किलोमीटर
, स्याना चट्टी से हनुमान चट्टी 33 किलोमीटर, टरहनुमान चट्टी से फूल चट्टी 5 किलोमीटर, फूल चट्टी से जानकी चट्टी 2 किलोमीटर,
जानकी चट्टी से पैदल मार्ग यमुनोत्री तक 6 किलोमीटर

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