अक्षय तृतीया: …………मनोरथ पूर्ण होंगे

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क्षय तृतीया का दिन परम कल्याणकारी माना जाता है, सनातन परम्परा में इसका विशेष महत्व महत्व बताया गया है, इस दिन की विशेषता है कि इस दिन बिना पंचांग देखें भी आप शुभ कर्मों को कर सकते हैं, इसी बात से इस तिथि की विशेषता का महत्व आप जान सकते हैं। हमारी सनातन परम्परा में मानव के कल्याण के लिए मार्ग बताए गए है, जो कि अतुल्य है, जिनकी अन्यत्र कही भी समना करना बेमानी है……

माँ लक्ष्मी नारायण

भविष्य पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया को लेकर मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग और त्रेतायुग शुरू हुआ था। वहीं द्वापरयुग का समापन भी हुआ था।  हिंदू कलेंडर के अनुसार अक्षय तृतीया का त्योहार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाये जाने की परंपरा है। पुराणों में विस्तार से उल्लेख है कि अक्षय तृतीया सभी पापों का नाश करने वाली और सभी सुखों को प्रदान करने वाली तिथि है। इस दिन किया गया दान-पुण्य एवं सत्कर्म अक्षय रहता है, यानि कभी नष्ट नहीं होता। वैसे तो इस दिन कोई भी व्यक्ति अपनी भावना और श्रृद्धा के अनुसार कुछ भी दान करके पुण्य लाभ कमा सकता है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर अपनी राशि के अनुसार अक्षय तृतीया पर दान पुण्य और पूजा पाठ करें तो आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होंगी।

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अक्षय तृतीया के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान आप माता की तस्वीर नारायण के साथ वाली रखें। नारायण के साथ मां लक्ष्मी का पूजन करने पर वे अत्यंत प्रसन्न होती हैं और उस घर पर अपनी कृपा बरसाती हैं । ऐसे घर में धन धान्य की कमी नहीं होती और सुख समृद्धि आदि बनी रहती है।

धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए पुण्य कर्मों का क्षय नहीं होता, बल्कि ये कई गुणा बढ़ जाता है. ऐसे में आपको इस दिन जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। वैसे आप इस दिन जल से भरा हुआ घड़ा, चीनी, गुड़, वस्त्र, शरबत, चावल, सोना-चांदी आदि दान कर सकते हैं।

इस तिथि पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें……….

यह दिन पितरों को प्रसन्न करने का दिन है।  आप अक्षय तृतीया के दिन पितरों के नाम का पिंडदान करें।  इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार के कष्ट दूर होते हैं। यदि आपके घर में पितृदोष है तो पिंडदान के अलावा पितरों की मुक्ति के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें और प्रभु नारायण से पितरों को मुक्ति देने की प्रार्थना करें। इस पावन दिन पितर संबंधित कार्य करना शुभ रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा…..

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि अक्षय तृतीया की यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।

जिनका परिणय-संस्कार……

शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है जिससे अक्षय पुण्य मिलता है।

बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य…..

इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।

बद्रीनारायण व वृंदावन के बांके बिहारी……..

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण एवं हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही धरा पर आए। तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं।

वृंदावन के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया को होते हैं। जो मनुष्य अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन परशुरामजी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है। साल में सिर्फ एक बार इस तिथि पर ही बिहारी जी के श्री चरणों के दर्शन होते हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ था।

अक्षय तृतीया से  सम्बंधित जानकारी ………………..

इस पावन दिन विधि- विधान से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के पावन दिन ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि से वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ का लेखन शुरू किया था।धार्मिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था।

मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के पावन दिन ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि से वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ का लेखन शुरू किया था।धार्मिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था।

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