कुत्तों की अच्छी नस्ल की चर्चा होती है तो जर्मन शेफर्ड की जरूर चर्चा हाती है। जर्मन शेफर्ड को आसानी से ट्रेंड किया जा सकता है, यह इस ब्रीड की सबसे बड़ी खासी होती है। यह नस्ल काफी साहसी होती हैं। अपराधियों को पकड़ने में ब्रीड काफी सफल मानी जाती है।
जर्मन शेफर्ड की विशेषता है कि यह आज्ञाकारी, परिस्थितियों का परीक्षण करने वाली, विश्वनीय होते हैं। परिवार के साथ घुलमिल कर रहते हैं। घर के अन्य जानवरों से भी घुलमिल जाते हैं, लेकिन अंजान व्यक्ति से हमेशा सावधान रहते हैं। इस प्रजाति के कुत्तों में झुंड का नेतृत्व करने का गुण होता है।
यह इनकी अतुलनीय विशेषता कही जा सकती है, चूंकि ये अत्यन्त समझदार होते है, इसलिए नेतृत्व का गुण इन्हें स्वभाविक रूप से मिलता है।
युद्ध के समय में जर्मन शेफर्ड का इस्तेमाल संदेश को माइंस के बीच से पहुंचाने के लिए किया जाता रहा है।
यह भी जरूर पढ़ें- माता ज्वाला जी शक्तिपीठ की अमर गाथा, पूजन विधान
बचाव कार्यों में भी इनका इस्तेमाल होता है। ये पानी, पहाड़ और आग में बचाव कार्य करने में सक्षम माने जाते हैं। पुलिस में इनका इस्तेमाल अपराधियों को पकड़ने के लिए लम्बे समय से होता आ रहा है, लेकिन गार्ड डॉग के रूप में इनका बेहतरीन इस्तेमाल संभव होता है। खतरा होने पर यह तत्काल आक्रामक हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें – आदि शक्ति के शक्तिपीठ की महिमा है अनंत
जर्मन शेफर्ड की आदर्श ऊंचाई 24 से 26 इंच तक होती है यानी यह 6० से 65 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। इसका वजन 35 से चालीस किलोग्राम आदर्श परिस्थितियों में रहता है। इस नस्ल की मादा की आदर्श ऊंचाई 55 से 6० सेंटीमीटर यानी 22 से 24 इंच रहती है। वजन 35 से चालीस किलो रहता है। इसका स्थिर, सुडौल व मजबूत शरीर होता है। जर्मन शेफर्ड की मांसपेशियां और हड्डियों की संरचना काफी मजबूत होती है।
यह भी जरूर पढ़ें- आरासुरी अम्बाजी शक्तिपीठ: यहाँ प्रवास से ही मिलाता है अतुल्य पुण्य
इसका सिर भी शरीर के अनुपात में रहता है। इसका माथा उत्तल आकृति का दिखता है। इसकी बाइट यानी मुंह से पकड़ काफी मजबूत होती है। इसके कान नीचे की ओर चौड़े और ऊपर की तरह प्वाइंटेड यानी नुकेले रहते हैं। छह माह तक के जर्मन शेफर्ड के बच्चे के कान थोड़े झुके जरूर हो सके हैं।
यह भी जरूर पढ़ें- रोग दूर करने हैं तो छह मिनट करें गायत्री मंत्र का जप
आंखें उभरी हुई और पैनी दृष्टि वाली होती हैं, जिनमें गहराई समाई प्रतीत होती है, लेकिन उनमें जीवन्तता प्रतीत होती है। जब यह आराम की मुद्रा, विचारते या समझने की मुद्रा में रहता है तो इसकी पूंछ पिछले पैरों के बीच में लटक जाती है। इसके अगले पैर सशक्त मांसपेशियों से युक्त होते हैं।
यह भी पढ़े- गायत्री मंत्र में कैसे हैं देव के नामों की स्तुति, उपासना और प्रार्थना
यह आयरन ग्रे, काले, ऐश ग्रे रंग एकरूपता लिए होते हैं या फिर भूरे, पीले या लाईट ग्रे के रेगुलर शेडेड में होते हैं। इनकी तीन नस्ल है, एक रफ कोटेड, दूसरी लांग रफ कोटेड और तीसरी लांग हेयर्ड लम्बे बालों वाली होती हैं।